निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर प्रत्येक लगभग 20 शब्दों में लिखिए- निर्मम कुम्हार की थापी से कितने रूपों में कुटी-पुटी हर बार बिखेरी गई किंतु मिट्टी फिर भी तो नहीं मिटी। आशा में निश्छल पल जाए, छलना में पड़कर छल जाए सूरज दमके तो तप जाए, रजनी ठुमके तो ढल जाए यों तो बच्चों की गुड़िया-सी, भोली मिट्टी की हस्ती क्या आँधी आए तो उड़ जाए, पानी बरसे तो गल जाए। फ़सलें उगतीं, फ़सलें कटती लेकिन धरती अविनश्वर है। मिट्टी की महिमा मिटने में मिट-मिट हर बार सँवरती है। मिट्टी मिट्टी पर मिटती है, मिट्टी मिट्टी को रचती है। क) ‘भोली मिट्टी की हस्ती क्या’ कवि ने ऐसा क्यों कहा है? ख) वे कौन सी परिस्थितियाँ हैं, जो मिट्टी के स्वरूप को मिटाने में असफल रहती हैं ? ग) सूरज के दमकने पर मिट्टी पर क्या प्रभाव पड़ता है? घ) धरती के सदा उर्वर रहने का क्या प्रमाण है? ङ) मिटाने का प्रयास करने पर भी धरती कैसी रहती है?
Answers
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पूछे गए प्रश्न इस प्रकार :
क) ‘भोली मिट्टी की हस्ती क्या’ कवि ने ऐसा क्यों कहा है?
उतर : ‘भोली मिट्टी की हस्ती को कवि ने मिट्टी के प्रयोग किया है| कवि ने मिट्टी के बारे में बहुत ही सुंदर वर्णन किया है।
इस पंक्ति से कवि का आशय यह है कि मिट्टी, बच्चों की उस गुड़िया के समान है जिसके साथ खेलने के बाद बच्चे उसे भूल जाते हैं। खेलने के बाद उसका महत्व खत्म सा हो जाता है। इसी तरह मिट्टी भी है जिसकी अपनी कोई हस्ती नहीं है।
ख) वे कौन सी परिस्थितियाँ हैं, जो मिट्टी के स्वरूप को मिटाने में असफल रहती हैं ?
उतर : आंधी आती है तो मिट्टी उड़ जाती है। पानी बरसता है तो मिट्टी गल जाती है। फसलें उगती हैं और फिर कट जाती हैं। लेकिन धरती वैसी की वैसी ही रहती है, यह सारी परिस्थितियाँ हैं जो मिट्टी के स्वरूप को मिटाने में असफल रहती है| मिट्टी मिटती है और हर बार संवरती है।
ग) सूरज के दमकने पर मिट्टी पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उतर : जब सूरज की तेज किरण मिट्टी पर पड़ती है तो मिट्टी तपने लगती है। मिट्टी किसी भी मौसम के प्रभाव में आकर वैसी ही हो जाती है। उसका अपना कोई स्वरूप नहीं होता बल्कि वह वातावरण के स्वरुप के अनुसार अपना स्वरुप परिवर्तित कर लेती है|
घ) धरती के सदा उर्वर रहने का क्या प्रमाण है?
उतर : धरती के सदा उर्वर रहने का कारण है , धरती पर बार—बार फसलें उगती हैं और कट जाती हैं लेकिन धरती हमेशा उपजाऊ रहती है। धरती को कभी नष्ट नहीं किया जा सकता।
ङ) मिटाने का प्रयास करने पर भी धरती कैसी रहती है?
उतर : धरती पर मिट्टी को मिटाने की कोई कितनी भी कोशिश कर ले लेकिन वो हर बार संवर जाती है। धरती की महिमा उसके ना मिटने से ही है। कवि कहता है मिट्टी, मिट्टी को रचती है। वह कभी खत्म नहीं होती।