बंबई में रहकर कला के अध्ययन के लिए रज़ा ने क्या-क्या संघर्ष किए
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प्रशन :- बंबई में रहकर कला के अध्ययन के लिए रज़ा ने क्या-क्या संघर्ष किए |
उत्तर :- रज़ा जब बंबई आए तो सबसे पहले उन्हें एक्सप्रेस ब्लाक स्टूडियो में डिजायनर की नौकरी तो मिल गई पर रहने का कोई उचित स्थान न मिला वे अपने किसी परिचित ड्राइवर के ठिकाने पर रात बिताते। उनकी दिनचर्या बड़ी कड़ी थी सुबह दस से शाम छह बजे तक नौकरी और उसके बाद मोहन आर्ट क्लब में जाकर पढ़ना। कुछ दिनों बाद उन्हें स्टूडियो के आर्ट डिपार्टमेंट का कमरा मिला परंतु सोना उन्हें तब भी फ़र्श पर ही होता था। वे रात ग्यारह-बारह बजे तक गलियों के चित्र या तरह-तरह के स्केच बनाते रहते थे। इस तरह बंबई में रहकर कला के अध्ययन के लिए रज़ा ने संघर्ष किया |
मुंबई में रहकर कला के लिए रजा को निम्नलिखित संघर्ष करने पड़े।
• जिस स्टूडियो में रजा को डिज़ाइनर की नौकरी मिली वह फिरोजशाह मेहता रोड पर था।
• वे रोज सुबह दस बजे से शाम छह बजे तक के करते थे।
• रहने के लिए वे अपने किसी परिचित टैक्सी ड्राइवर के कमरे में रहते थे। फर्श पर सोते थे।
• कठिन परिश्रम के बाद उन्हें 1948 में बांबे आर्ट ऑफ सोसाइटी का स्वर्ण पदक प्राप्त हुआ।
• वेनिस एकेडमी के प्रोफेसर लैंग हेमर उनके चित्र के प्रशंसक बन गए तथा वे जे जे स्कूल ऑफ आर्ट के नियमित छात्र बन गए।