बंगाल के मंदिरों की स्थापत्यकला के महत्त्वपूर्ण लक्षण क्या हैं?
Answers
बंगाल के मंदिरों की स्थापत्यकला के महत्त्वपूर्ण लक्षण निम्नलिखित हैं :
(1) निम्न समूहों द्वारा बने मंदिरों में साधारण ईंटों तथा मिट्टी - गारे का प्रयोग किया गया था।
(2) मंदिरों की आकृति बंगाल की दोचाला या चौचाला छप्परदार जैसी होती थी। दोचाला का अर्थ है दो छतों वाली तथा चौचाला अर्थ है चार परतों वाली। इनके कारण स्थापत्य कला की विशिष्ट बंगाली शैली का उदय हुआ।
(3) चौचाला ढांचे में चार त्रिकोणीय छतों को चार दीवारों पर रखा जाता था जो ऊपर एक तिरछी रेखा अथवा एक बिंदु तक जाती थी।
(4) मंदिर प्राय: एक वर्गाकार चबूतरे पर बनाए जाते थे।
(5) मंदिरों के अंदर कोई सजावट नहीं होती थी, परंतु कई मंदिरों की बाहरी दीवारों को चित्रकारियों , सुंदर टाइलों तथा मिट्टी की पट्टियों में सजाया जाता था।
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