बंगाल के सांस्कृतिक पुनूरउत्थान में श्री बन्किमचंद्र, जी का योगदान
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सांस्कृतिक पुनरुत्थान
सुजलाम् सुफलां ..
मलयज शीतलां मातरम
कानों में भरती मधुर ध्वनि
याद दिलाती बंकिम जी की
लिखकर वंदे मातरम गीत
छोड़ दिया धरती पर अमिट छाप...
देवभाषा में सजाकर रचना
कृतियों को सजीव बनाया
संस्कृति में छिपा है संस्कृत
संस्कृत से ही सराहा जीवन..
अब घर घर चर्चा होने लगी
बंकिम जी की संस्कृत की भी
साहित्य जगत का टिम टिम तारा
अमर हो गया संस्कृत द्वारा
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