Hindi, asked by asaadfatam1122, 10 months ago

बिहारी जी ने अपने दोहे में बाह्य आडम्बर का विरोध किया है स्पष्ट कीजिए |​

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Answered by vaishnavithorave
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Answer:

आडम्बर और ढ़ोंग किसी काम के नहीं होते हैं। मन तो काँच की तरह क्षण भंगुर होता है जो व्यर्थ में ही नाचता रहता है। माला जपने से, माथे पर तिलक लगाने से या हजार बार राम राम लिखने से कुछ नहीं होता है। इन सबके बदले यदि सच्चे मन से प्रभु की आराधना की जाए तो वह ज्यादा सार्थक होता है।

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