बिहारी की भाषा शैली
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Answer:
बिहारी की भाषा-शैली की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
1. बिहारी की भाषा शुद्ध साहित्यिक ब्रज है।
2. इनकी भाषा में गागर में सागर भरने का क्षमता है अर्थात् ये कम शब्दों में बहुत कुछ कह जाते हैं।
3. इनके दोहों में संयोग श्रृंगार रस का उपयोग अधिक हुआ है।
4. इनकी भाषा में पूर्वी भाषा के शब्द भी देखे जा सकते हैं।
Explanation:
1. बिहारी जी कहते हैं कि पीले वस्त्र पहने हुए श्रीकृष्ण इस प्रकार लग रहे हैं मानो प्रातःकाल में प्रभात नीलमणि पर्वत पर सूरज की पीली धूप पड़ रही हो।
२. बिहारी जी के अनुसार गर्मी की ऋतु में बड़ी भंयकर गर्मी पड़ रही है। इस गर्मी के भंयकर ताप ने समस्त संसार को तपोवन के समान बना दिया है। जिसके प्रभाव से शत्रु-भाव रखने वाले पशु-पक्षी जैसे साँप-मोर, हिरण और बाघ एक साथ रह रहे हैं।
3. बिहारी जी के अनुसार गोपियों ने श्रीकृष्ण की मुरली छुपा दी है। श्रीकृष्ण द्वारा मुरली माँगे जाने पर वह झुठी कसम खाकर कहती हैं कि मुरली उनके पास नहीं है परन्तु आपस में भौंह द्वारा वह मुस्कुरा भी रही हैं। वे कृष्ण को परेशान करना चाहती हैं। बहुत कहने पर वह मुरली देने को तैयार हो जाती हैं परन्तु फिर मुकर जाती हैं।
4. बिहारी जी कहते हैं एक नायक अपनी नायिका को इशारे से कुछ कहता है परन्तु नायिका उसे मना करने का नाटक करती है। नायक, नायिका के इस इनकार पर उस पर रीझ जाता है। नायिका उसके इस तरह रीसने पर उसके ऊपर खीझ जाती है। दोनों की नजरें एक दूसरे से मिलती हैं और वह प्रसन्नाता से खिल जाते हैं। नायक से इस तरह नजरें मिलने से नायिका शरमा जाती है। उन दोनों की यह प्रेम भरी बातें लोगों से भरे स्थान पर हो रही होती हैं।
5. बिहारी जी कहते हैं जेठ मास (ग्रीष्म ऋतु) की दुपहरी अत्यन्त गर्म हो रही है। इसलिए आराम के लिए कहीं भी छाया नहीं मिल रही है। अर्थात् गर्मी से परेशान होकर सभी प्राणी ही नहीं बल्कि छाया भी विश्राम करने के लिए चली गई है।
6. बिहारी जी कहते हैं कि एक प्रेमिका अपने प्रेमी को प्रेम से भरा पत्र लिखना चाहती है परन्तु वह लिखने में असमर्थ है। वह किसी सन्देशवाहक के द्वारा अपना सन्देश प्रेमी को देना चाहती है लेकिन लज्जा के कारण वह उस सन्देशवाहक को कह नहीं पाती। अंततः वह कहती है कि हे प्रिय, तुम मेरे हृदय की सभी बातों को अपने हृदय पर हाथ रखकर महसूस कर लो।
7. बिहारी जी कहते हैं हे श्रीकृष्ण! आप चंद्रवंश में जन्मे उसके पश्चात् आपने ब्रज को अपना निवास स्थान बनाया। आप मेरे लिए पिता के समान पूज्यनीय हैं, इसलिए आप मेरे सभी दुखों को हर लीजिए। इसका दूसरा अर्थ इस प्रकार है हे पिता, केशवराज श्री आप ने ब्राहमण कुल में जन्म लिया। उसके पश्चात् आप ब्रज में निवास करने लगे आप मेरे लिए भगवान के समान पूज्यनीय हैं। अतः आप मेरे सभी कष्टों को दूर करें।
8. बिहारी जी के अनुसार हाथ पर माला लेकर जपने तथा माथे पर चन्दन का तिलक लागकर जप करने से वह किसी काम नहीं आता है। यह सब बाहरी आडम्बर हैं। इस तरह के आडम्बरों से प्रभु को संतुष्ट नहीं किया जा सकता। प्रभु को तो केवल सच्ची भक्ति से ही प्रसन्न किया जा सकता है।
Answer:
बिहार की राज्यभाषा हिंदी है, जबकि उर्दू इस राज्य की द्वितीय राज्यभाषा है.
Explanation:
बिहारी की भाषा शैली
बिहार की राज्यभाषा हिंदी है, जबकि उर्दू इस राज्य की द्वितीय राज्यभाषा है. वर्तमान बिहार की बोलियों को ग्रियर्सन नामक विद्वान ने बिहारी भाषा में संबोधित किया है. बिहार में भाषा वर्ग की दृष्टि से सामान्यतः दो परिवारों की भाषाएं बोली जाती है-
1) आर्य परिवार की भाषाएं
2) मुंडा परिवार की भाषाएं
आर्य परिवार की भाषाएं
आर्य परिवार की भाषाओं को बिहारी भाषा का नाम दिया गया है, जिसके अंतर्गत निम्नलिखित तीन बसे प्रमुख है- म
1) मगही भाषा
2) भोजपुरी भाषा
3) मैथिली भाषा.
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