Hindi, asked by nishith374, 1 year ago

बिहारी के दोहे लोक व्यवहार और नीति ज्ञान आदि की बातें भी मिलती है उदाहरण सहित स्पष्ट

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Answered by Shubhgyanji
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Answer:

'सतसई' की रचना  ने बिहारीलाल जी को हिंदी साहित्य में अमरता प्रदान की है।

भक्ति, नीति, हास्य व्यंग्य, वीरता, राज प्रशस्ति, धर्म, सत्संग महिमा  हर पहलु को इन्होने अपनी कलम से छुआ है।

नीति शब्द का अर्थ ही लोक वयवहार है, अपने अनुभवों से समाज को सूक्तियों के माध्यम से सही दिशा देने का काम इन्होने बड़ी दक्षता से किया है।

Explanation:

समाज में ऐसे कई लोग हैं जिनके पास अचानक से पैसा आते ही वे घमंडी बन जाते हैं या फिर अभिमान में चूर होकर वे सभी को खुद से कम आंकने लगते हैं। ऐसे लोगों के लिए कवि बिहारी लाल जी इस दोहे में बड़ी बात कही है-

कनक कनक ते सौं गुनी मादकता अधिकाय।

इहिं खाएं बौराय नर, इहिं पाएं बौराय।

अर्थ:

सोने में धतूरे से सौ गुनी मादकता अधिक है। धतूरे को तो खाने के बाद व्यक्ति पगला जाता है। सोने को तो पाते ही व्यक्ति पागल अर्थात अभिमानी हो जाता है।

क्या सीख मिलती है:

महाकवि बिहारीलाल जी के इस दोहे से हमें यह सीख मिलती है कि अगर हमारे पास अचानक से पैसा आए तो हमें घमंड नहीं करना चाहिए बल्कि अपनी जमीनी स्तर पर जुड़कर हमेशा सोचना चाहिए।

Answered by Priatouri
2

बिहारी द्वारा रचित दोहों में लोक व्यवहार और नीति ज्ञान दोनों की बातें मिलती हैं।

Explanation:

  • बिहारी द्वारा रचित दोहों में लोक व्यवहार और नीति ज्ञान दोनों की बातें मिलती हैं।
  • बिहारी अपना लेखन उन्मुक्त रूप से करते हैं इसलिए उन्हें बंध कर लिखना पसंद नहीं है।
  • बिहारी अपनी रचनाओं में सगुण और निर्गुण दोनों प्रकार में लिखते हैं।
  • बिहारी के विषय में राजा, फकीर, अमीर, गरीब, छोटे, बड़े सभी आते हैं।
  • बिहारी अपने दोहों में सच्चाई बताते हैं जैसे घमंडी व्यक्ति से सब नफरत करते हैं और सरल व्यक्ति को सब प्यार करते हैं।

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