Hindi, asked by komalbarnwal1307, 4 months ago

बिहारी लाल की काव्यगत विशेषताओं पर प्रकाश डालें ।​

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Answered by bcm881144gmailcom
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काव्यगत विशेषताएं

बतरस लालच लाल की मुरली धरी लुकाय। सोह करे, भौंहनु हंसे दैन कहे, नटि जाय।। बिहारी का वियोग, वर्णन बड़ा अतिशयोक्ति पूर्ण है। यही कारण है कि उसमें स्वाभाविकता नहीं है, विरह में व्याकुल नायिका की दुर्बलता का चित्रण करते हुए उसे घड़ी के पेंडुलम जैसा बना दिया गया है - इति आवत चली जात उत, चली, छेसातक हाथ।

Answered by madhav7034
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