Hindi, asked by abhishekjeph6, 1 year ago

बिहारी ने जगत को तपोवन क्यों यों है और इससे क्या या संदेश देना चाहा हैं ।

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Answered by vidisha30
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तपोवन का अर्थ है, जहाँ तप किया जाता है | वहां आपसी प्रेमभाव और मित्रता का वातावरण रहता है। तपोवन में कोई किसी का बैरी नहीं होता और वहाँ किसी की किसी के साथ शत्रुता नहीं होती है | कवि ने जगत को तपोवन की तरह माना है क्योंकि वन में सभी प्राणी आपसी तकरार भूलकर भयंकर गर्मी में एक साथ पेड़ों की छाया में बैठते हैं| इससे यह सन्देश मिलता है कि जब पशु अपनी शत्रुता भूल कर एक साथ रह सकते हैं तो मनुष्य क्यों नहीं रह सकता।

Answered by Priatouri
21

बिहारी ने जगत को तपोवन निम्नलिखित कारणों के लिए कहा है:  

Explanation:

बिहारी ने जगत को तपोवन निम्नलिखित कारणों के लिए कहा है:  

  • तपोवन का अर्थ ऐसे स्थान से है जहां तप किया जाता है। तपोवन में आपसी प्रेमभाव और मित्रता का वातावरण रहता है । तपोवन में किसी का किसी से किसी भी प्रकार का कोई बैर नहीं होता है और ना ही कोई किसी का शत्रु होता है।
  • कवि ने जगत को तो पवन इसलिए कहा है क्योंकि उनकी नजर में जब वन में गर्मी पड़ती है तो सभी प्राणी अपने आपसी मतभेद और तकरार को भूलकर पेड़ों की छांव में एक साथ बैठ जाते हैं।
  • इसे कवि यह संदेश देना चाहते हैं कि जब पशु पक्षी अपने आपसी मतभेद और शत्रुता भूलकर एक साथ रह सकते हैं तो मानव क्यों नहीं रह सकता।

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बिहारी ने जगत को तपोवन क्यों यों है और इससे क्या या संदेश देना चाहा हैं?

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