बुजुर्गों के प्रति नैतिक दायित्व
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हमारे घर के बुजुर्ग जो हमारे दादा-दादी, नाना-नानी है। इन सबके प्रति हम सबका एक कर्त्तव्य है और वह है उनका ज्यादा से ज्यादा ख्याल रखना।
बुजुर्ग और बच्चे एक जैसे होते हैं। इनको अत्याधिक केयर की प्यार की और सम्मान की जरूरत है।
आज के युग में लोग सिर्फ खुद के बारे में सोचते हैं। तभी तो लाखों करोड़ों बुजुर्ग हर वर्ष वृद्ध आश्रम में जाने को मजबूर होते हैं।
यदि हम अपने घर के बुजुर्ग को प्यार , आदर एवं सत्कार करेंगे तो उनको वृद्ध आश्रम में जाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
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हमारे घर के बुजुर्ग जो हमारे दादा-दादी, नाना-नानी है। इन सबके प्रति हम सबका एक कर्त्तव्य है और वह है उनका ज्यादा से ज्यादा ख्याल रखना।
बुजुर्ग और बच्चे एक जैसे होते हैं। इनको अत्याधिक केयर की प्यार की और सम्मान की जरूरत है।
आज के युग में लोग सिर्फ खुद के बारे में सोचते हैं। तभी तो लाखों करोड़ों बुजुर्ग हर वर्ष वृद्ध आश्रम में जाने को मजबूर होते हैं।
यदि हम अपने घर के बुजुर्ग को प्यार , आदर एवं सत्कार करेंगे तो उनको वृद्ध आश्रम में जाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।