बाजार में भाई साहब से मुठभेड़ के बाद क्या हुआ?- बडे भाई साहाब
Answers
Answered by
1
Answer: लेखक को ताज्जुब था कि पास होने पर ऐसा स्वागत है तो फेल होने पर क्या हाल होता। फिर सालाना इम्तिहान हुआ और संयोग से बड़े भाई साहब फेल और लेखक पास हो गया। भाई ... लेखक बाजार में कनकौए लूटता फिरता था। एक दिन बड़े भाई साहब से मुठभेड़ हो गई।इसके पहले कलकत्ता में इतने बड़े पैमाने पर आजादी की लड़ाई में लोगों ने शिरकत नहीं की थी। उस दिन जनसमूह का बड़ा सैलाब कलकत्ता की बुरी छवि को कुछ हद तक धोने में कामयाब होता दिख रहा था। इसलिए लेखक को वह दिन अपूर्व लग रहा था।
उस सभा के पहले कलकत्ता में पहले कभी लोगों ने इतना बढ़ चढ़ कर स्वाधीनता संग्राम में हिस्सा नहिं लिया था। इस कारण से कुछ लोग हमेशा कलकत्ता पर यह आरोप लगाते थे कि वहाँ के लोग गुलामी को ही पसंद करते हैं। लेकिन उस दिन जो कुछ हुआ उससे कलकत्ता के नाम पर लगा दाग धुलने में बहुत सहायता मिली होगी।
Similar questions