बाजार दर्शन पाठ का मूल भाव स्पष्ट कीजिए
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बाजार दर्शन पाठ में लेखक ने बताया है कि खाली मन से बाजार नहीं जाना चाहिए। खाली मन का अर्थ है कि अपनी आवश्यकता का स्पष्ट ज्ञान न होना। जब मनुष्य को यह पता न हो कि बाजार से उसको क्या खरीदना है तो उसका मन खाली माना जायेगा। ... मन का दमन कर उसमें किसी प्रकार की इच्छा उत्पन्न न होने देना मन को बन्द करना है।
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bajar Darshan path mein lekhak ne bataya hai ki Kali man se bajar nahin Jana chahie Kali man ka Arth hai ki apni avashyakta spasht Gyan na hona jab manushya ko yah pata Na Ho ki bajar se usko kya Karen aaye to uska man Kali Mana jaega
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