बाजरे में एरगोट फफूंदी से क्या हानि होती है?
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बारिश में फंगल इंफेक्शन (फफूंद संक्रमण) का खतरा बढ़ गया है। जरा सी लापरवाही होने पर बच्चों से लेकर बड़ों तक की त्वचा में फफूंद संक्रमण हो रहा है। इस मौसम में रोग के खतरे का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि नगर के पीएचसी और सीएचसी की ओपीडी में पचास प्रतिशत रोगी इस बीमारी के आ रहे हैं।
यह इंफेक्शन कई तरह के फफूंद की वजह से होता है, जिसमें डर्मेटोफाइट्स और यीस्ट प्रमुख है। फफूंद मृत केराटीन में पनपता है और धीरे-धीरे शरीर के नम स्थान जैसे कि पैर की एड़ी, नाखून, जननांगों में फैलता जाता है। स्किन फंगल इंफेक्शन में त्वचा पर सफेद पपड़ी जम जाती है, जिसमें खुजली होती है। ध्यान न देने पर कभी-कभी इनमें बैक्टीरियल इंफेक्शन भी हो जाता है। त्वचा का संक्रमण और चर्म रोग में अंतर है। त्वचा का संक्रमण रोगाणु, जीवाणु, वायरस, बैक्टीरिया, पैरासाइट और फंगल के संक्रमण से होता है। त्वचा रोग विशेषज्ञ डा. एसके गुप्ता का कहना कि फंगल इंफेक्शन अब सात-आठ माह के बच्चों को भी होने लगा है। लगातार इलाज चलने पर यह बीमारी तीन माह में ठीक हो पाती है। मौजूदा समय में फंगल इंफेक्शन के काफी पीड़ित आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि इलाज अधूरा छोड़ने पर मरीज को यह बीमारी फिर चपेट में ले लेती है, इसलिए पूरा इलाज कराना चाहिए।
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