बुझी पड़ी थी चिता वहाँ पर, छाती धधक उठी मेरी।
हाय! फूल-सी कोमल बच्ची, हुई राख की थी ढेरी॥
उपर्यक्त काव्य-पंक्तियों में रस लिखिए।
Answers
बुझी पड़ी थी चिता वहाँ पर, छाती धधक उठी मेरी।
हाय! फूल-सी कोमल बच्ची, हुई राख की थी ढेरी॥
इनका पंक्तियों में करुण रस प्रकट होता है।
करुण रस का स्थाई भाव शोक या दुख होता है। इस रस में किसी दुख, वियोग, विनाश, विरह आदि का भाव प्रकट होता है। किसी के बिछड़ जाने का विरह, किसी प्रियजन की मृत्यु हो जाने से जो दुख और वेदना उत्पन्न होती है, वह करुण रस कहलाती है। प्रस्तुत पंक्तियों में एक पिता अपनी पुत्री की मृत्यु पर विलाप कर रहा है, और उसकी चिता की राख को देखकर दुखी हो रहा है। यहाँ पर उसके स्वर में करुणा व्याप्त है, उसके मन में अपनी बच्ची के मृत्यु के दुख के भाव प्रकट हो रहे हैं, इसलिए यहां पर करुण रस है।
Answer:
आशय-जब सुखिया का पिता जेल से छूटा तो वह श्मशान में गया। उसने देखा कि वहाँ उसकी बेटी की जगह राख की ढेरी पड़ी थी। उसकी बेटी की चिता ठंडी हो चुकी थी।
Explanation:
अर्थ-सौंदर्य-इसमें करुणा साकार हो उठी है। चिता का बुझना और उसे देखकर पिता की छाती को धधकना दो मार्मिक दृश्य हैं। ये पाठक को द्रवित करने की क्षमता रखते हैं। चाक्षुष बिंब।