बूढ़ी काकी’ कहानी की समीक्षा कीजिए। Boodhi Kaki ki Samiksha
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हिन्दी कहानीकारों में मुंशी प्रेमचन्द का प्रमुख स्थान है क्योंकि उनकी कहानियों में समाज के निम्न वर्ग को प्रमुखता से चित्रित किया गया है। साथ ही उन्होंने ऐसे विषयों को कहानी की कथावस्तु में शामिल किया है, जो सर्व-साधारण से जुड़े हुए हैं। मानव-समाज और जीवन की यथार्थ स्थिति का चित्रण प्रेमचन्द की कहानियों में जीवंत बन पड़ा है। साहित्य-समीक्षकों ने कहानी-कला के जो छह तत्व - कथानक, पात्र एवं उनक चरित्र-चत्रिण, कथोपकथन या संवाद, देशकाल या वातावरण, उद्देश्य तथा भाषा-शैली निर्धारित किये हैं, उनके आधार पर मुंशी प्रेमचन्द की कहानी ‘बूढ़ी काकी’ की समीक्षा इस प्रकार की जा सकती है-
1. कथानक या कथावस्तु - कथानक कहानी का मूल तत्व माना गया है, क्योंकि इसके अभाव में कहानी-लेखन संभव ही नहीं है। यह ठीक है कि कहानी का कथानक अन्य गद्य-विधा उपन्यास के कथानक की उपेक्षा संक्षिप्त होता है, लेकिन उसकी मौलिक प्रस्तुति एवं शिल्पगत नवीनता पाठक के मन में जिज्ञासा और कौतूहल की भावना जगाने में सक्ष्म होती है।
बूढ़ी काकी’ कहानी की समीक्षा कीजिए। Boodhi Kaki ki Samiksha