बाल गोविंद भगत किस विधा की रचना है
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बालगोबिन भगत पाठ का सार- बालगोबिन भगत रेखाचित्र के माध्यम से रामवृक्ष बेनीपुरी ने एक ऐसे विलक्षण चरित्र का उद्घाटन किया है जो मनुष्यता ,लोक संस्कृति और सामूहिक चेतना का प्रतिक है। वेश भूषा या ब्रह्य आडम्बरों से कोई सन्यासी है ,सन्यास का आधार जीवन के मानवीय सरोकार होते हैं .
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‘बालगोबिन भगत’ किस विधा की रचना है?
‘बालगोबिन भगत’ गद्य की रेखाचित्र विधा की रचना है।
व्याख्या :
- यह रचना रामवृक्ष बेनीपुरी द्वारा रचित की गई है। उन्होंने इस रेखा चित्र के माध्यम से बालगोबिन भगत नाम से एक विलक्षण चरित्र के व्यक्ति का जीवन चरित्र खींचा है।
- बाल गोविंद भगत एक साधारण ग्रामीण व्यक्ति के थे, लेकिन उनके अंदर कई विशिष्ट गुण थे।
- लेखक ने पाठ के माध्यम से यह कहने का प्रयत्न किया है कि वेशभूषा या बाहरी दिखावे से ही कोई सन्यासी नहीं होता। बल्कि सन्यासी होने के लिए जीवन में मानवीय मूल्यों को अपनाना पड़ता है।
- बालगोबिन भगत इसी तरह के व्यक्ति थे। बाहर से वह गृहस्थ होते हुए भी अंदर संन्यासी ही थे।
- इस पाठ के माध्यम से उन्होंने बालगोबिन भगत के जीवन के अलावा भारतीय ग्रामीण जीवन की झांकी प्रस्तुत की है।
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