सुखिया के पिता को अंत में किस बात का पछतावा रहा?
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सुखिया के पिता को अंत में किस बात का पछतावा रहा ?
यह प्रश्न एक फूल की चाह से लिया गया है | एक फूल की चाह कविता सियारामशरण गुप्त द्वारा लिखी गई है| कविता का केन्द्रीय भाव समाज में फैली छूआ-छूत जैसी प्रथा के बारे में बताया है |
व्याख्या :
सुखिया के पिता को अंत में इस बात का पछतावा रहताहै कि वह अपनी पुत्री को अंतिम बार गोद में भी नहीं ले पाया और न ही उसे देख पाया | अपनी बेटी की अंतिम इच्छा पूरी नहीं कर पाया , माँ देवी के प्रसाद का एक फूल भी उसे लाकर नहीं दे पाया | वह अंतिम बार बार भी अपनी बेटी को नहीं देख पाता है | उसके वहाँ पहुंचने से पहले रिश्तेदारों सुखिया का अंतिम संस्कार कर देते है |
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