CBSE BOARD X, asked by laddusingh9717, 4 months ago

बालिका केन सोपानेन स्वर्णवनम
आससाद​

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Answered by roshanidas11
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Answer:

द्वितीयः पाठः

स्वर्णकाकः

प्रस्तुत पाठ श्री पद्मशास्त्री द्वारा रचित “विश्वकथाशतकम्” नामक कथासंग्रह से लिया गया है, जिसमें विभिन्न देशों की सौ लोक कथाओं का संग्रह है। यह वर्मा देश की एक श्रेष्ठ कथा है, जिसमें लोभ और उसके दुष्परिणाम के साथ—साथ त्याग और उसके सुपरिणाम का वर्णन, एक सुनहले पंखों वाले कौवे के माध्यम से किया गया है।

पुरा कसिंमश्चिद् ग्रामे एका निर्धना वृद्धा स्त्री न्यवसत्। तस्याश्चैका दुहिता विनम्रा मनोहरा चासीत्। एकदा माता स्थाल्यां तण्डुलान्निक्षिप्य पुत्रीमादिदेश — सूर्यातपे तण्डुलान् खगेभ्यो रक्ष। किञ्चित्कालादनन्तरम् एको विचित्रः काकः समुड्डीय तामुपाजगाम।

नैतादृशः स्वर्णपक्षो रजतचञ्चुः स्वर्णकाकस्तया पूर्वं दृष्टः। तं तण्डुलान् खादन्तं हसन्तञ्च विलोक्य बालिका रोदितुमारब्धा। तं निवारयन्ती सा प्रार्थयत्—तण्डुलान् मा भक्षय। मदीया माता अतीव निर्धना वर्तते। स्वर्णपक्षः काकः प्रोवाच, मा शुचः। सूर्योदयात्प्राग् ग्रामाद्बहिः पिप्पलवृक्षमनु त्वयागन्तव्यम्। अहं तुभ्यं तण्डुलमूल्यं दास्यामि। प्रहर्षिता बालिका निद्रामपि न लेभे।

Answered by payalmeena3313
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Explanation:

Balika ken sopanen swarnvanam aassad

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