बाल मजदूरी की समस्या विषय की समस्या परंतु लोग उसके प्रति उदासीन दिखाई देते हैं आपके माता अनुसार इसके क्या कारण व उपाय हो सकते हैं?
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बाल श्रम
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खुला
बाल श्रम
परिचय
संयोजन पाठ्यक्रम
बाल मजदूरी के कारण
बाल मजदूरी उन्मूलन हेतु किये जा रहे प्रयास
राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना के तहत शामिल नीति
उद्देश्य
लक्षित समूह
रणनीति
मजदूरी से शिक्षा की ओर
भारत में बाल श्रम के खिलाफ राष्ट्रीय कानून और नीतियां
कानून
प्रमुख राष्ट्रीय कानूनी विकास में निम्नलिखित शामिल हैं
सरकारी नीतियां और कार्यक्रम
राष्ट्रीय संस्थानों का अंशदान
क्या बच्चों को काम पर रखना क़ानूनी है?
यदि कोई व्यक्ति मेरे आस-पड़ोस में बच्चों से काम करवाता है, तो इस बारे में मैं क्या कर सकती हूँ ?
इस क़ानून का उल्लंघन करते हुए बच्चों को काम पर रखने पर क्या सज़ा दी जा सकती है ?
इस कानून के तहत संरक्षित किये गए बच्चों के साथ क्या होता है ?
क्या बच्चों का पारिवारिक व्यवसाय में काम करना क़ानूनी है ?
क्या माता-पिता/अभिभावकों को अपने बच्चों को काम करने की अनुमति देने के लिए दंडित किया जा सकता है?
बाल मजदूरी के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
बाल श्रमिकों की स्थिति और समस्याएँ
बाल श्रम की अवधारणा
बाल श्रमिकों पर अत्याचार : नई सुबह का इन्तजार
बाल श्रमिकों की कार्यदशा एवं समस्याएँ
बाल श्रमिक – कानून और नीतियाँ
बाल मजदूरी की समस्या में स्वैछिक संस्थाओं की भूमिका
बच्चों के लिए प्राणघातक उद्योग
कानून व नीति का सहारा
उपाय
अशिक्षा और बाल मजदूर
प्रमुख उद्योग एवं बाल मजदूर
परिचय
अपने देश के समक्ष बालश्रम की समस्या एक चुनौती बनती जा रही है। सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए कई कदम भी उठाये हैं। समस्या के विस्तार और गंभीरता को देखते हुए इसे एक सामाजिक-आर्थिक समस्या मानी जा रही है जो चेतना की कमी, गरीबी और निरक्षरता से जुड़ी हुई है। इस समस्या के समाधान हेतु समाज के सभी वर्गों द्वारा सामूहिक प्रयास किये जाने की आवश्यकता है।
वर्ष 1979 में भारत सरकार ने बाल-मज़दूरी की समस्या और उससे निज़ात दिलाने हेतु उपाय सुझाने के लिए 'गुरुपाद स्वामी समिति' का गठन किया था। समिति ने समस्या का विस्तार से अध्ययन किया और अपनी सिफारिशें प्रस्तुत की। उन्होंने देखा कि जब तक गरीबी बनी रहेगी तब तक बाल-मजदूरी को हटाना संभव नहीं होगा। इसलिए कानूनन इस मुद्दे को प्रतिबंधित करना व्यावहारिक रूप से समाधान नहीं होगा। ऐसी स्थिति में समिति ने सुझाव दिया कि खतरनाक क्षेत्रों में बाल-मजदूरी पर प्रतिबंध लगाया जाए तथा अन्य क्षेत्रों में कार्य के स्तर में सुधार लाया जाए। समिति ने यह भी सिफारिश की कि कार्यरत बच्चों की समस्याओं को निपटाने के लिए बहुआयामी नीति बनाये जाने की जरूरत है।