बाल मजदूरी पर एक लघु निबंध
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Explanation:
बाल श्रम या बाल मज़दूरी पर निबंध - हमारे देश में आज़ादी के इतने सालों बाद भी, बाल मज़दूरी कलंक बना हुआ है। हमारे लिए यह बहुत ही विडंबना का विषय है कि आज की सदी के भारत में भी हम अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं दे पा रहे हैं। बाल श्रम क्या है? इसके कारण, दुष्परिणाम, इसको रोकने के हम क्या उपाय कर सकते हैं? और सरकार द्वारा इसको रोकने के लिए क्या-क्या किया जा रहा है? इन सभी प्रश्नों के आधार पर हम इस लेख के जरिए बाल श्रम या बाल मज़दूरी के विषय पर आपको जानकारी दे रहे हैं। आशा है कि ये जानकारी आपके लिए अहम सिद्ध होगी।
essay on child labour
सामग्री - (Content)
प्रस्तावना
बाल श्रम या बाल मज़दूरी का अर्थ
बाल श्रम या बाल मज़दूरी के कारण
बाल श्रम या बाल मज़दूरी के दुष्परिणाम
बाल श्रम या बाल मज़दूरी की रोकथाम के उपाय
बाल श्रम या बाल मज़दूरी पर अंकुश लगाने के लिए सरकार द्वारा किए गए कार्य
उपसंहार
एक कली के फूल बनने से पहले ना तोड़ना उसे,
उसकी खूबसूरती खो जाएगी।
बचपने के संभालने से पहले इन्हें ना झंझोरना,
उनकी मासूमियत बेमानी बन जाएगी।
इनके बचपन में जो ना रंग भर सको ना सही,
पर इनके बचपन को छीनने का हक भी तुम्हें नहीं।।
प्रस्तावना
बाल श्रम हमारे देश और समाज के लिए बहुत ही गम्भीर विषय है। आज समय आ गया है कि हमें इस विषय पर बात करने के साथ-साथ अपनी नैतिक जिम्मेदारियाँ भी समझनी होगी। बाल मज़दूरी को जड़ से उखाड़ फेंकना हमारे देश के लिए आज एक चुनौती बन चुका है क्योंकि बच्चों के माता-पिता ही बच्चों से कार्य करवाने लगे है। आज हमारे देश में किसी बच्चे को कठिन कार्य करते हुए देखना आम बात हो गई है।
बाल मज़दूरी को बड़े लोगों और माफियाओं ने व्यापार बना लिया है। जिसके कारण दिन-प्रतिदिन हमारे देश में बाल श्रम बढ़ता जा रहा है और बच्चों का बचपन खराब हो रहा है। इस से बच्चों का भविष्य तो खराब होता ही है, साथ में देश में गरीबी फैलती है और देश के विकास में बाधाएँ आती हैं।
बाल श्रम भारत के साथ-साथ सभी देशों में गैर कानूनी है। बाल श्रम हमारे समाज के लिए एक कलंक बन चुका है। बाल मज़दूरी की समस्या समय के साथ-साथ बहुत उग्र रूप लेती जा रही है। इस समस्या को अगर समय रहते जड़ से मिटाया नहीं गया, तो इससे पूरे देश का भविष्य संकट में आ सकता है।
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बाल श्रम का अर्थ है बच्चों को कठिन श्रम में शामिल करना जो उनके शारीरिक और मानसिक विकास को प्रभावित करता है और गरिमा के साथ बड़े होने की उनकी क्षमता का शोषण करता है।
यूनिसेफ दर्शाता है कि भारत में लगभग 10.1 मिलियन बच्चे वर्क में लगे हुए हैं, जिससे भारत में 13% कार्यबल का निर्माण होता है। इन बच्चों की आयु सीमा 5 से 14 वर्ष के बीच है।
बाल श्रम पैटर्न का पालन नहीं करता है और परिवारों से लेकर कारखानों तक सभी क्षेत्रों में होता है। इसलिए, समाज की मानसिकता पर जोर देना चाहिए कि बच्चों को स्कूल जाना चाहिए और वयस्कों को रोजगार देना चाहिए।
निष्कर्ष:
बाल श्रम उन्मूलन के लिए सरकार को कड़े कानून बनाने चाहिए। एनजीओ को इन राशियों के लिए पिच करना चाहिए और इन बच्चों को एक उज्जवल भविष्य के लिए सशक्त बनाना चाहिए।
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