बाल्यावस्था से ही वह बड़ी सूझबूझ वाले थे तथा शीघ्र ही उन्होंने संस्कृत तथा फारसी में प्रवीणता प्राप्त कर ली ट्रांसलेट टू इंग्लिश
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hello
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याजा ने अफ चौथी औय सफसे छोटी याजक
ु
भायी से ऩ
ूछा।
उसने उसी फेऩयवाही से जवाफ हदमा –“उन दानों की कोई कीभत है
वऩता जी ? वैसे तो ढेयों दाने बॊडाय भें ऩडे हैं। आऩ तो जानते हैं
न, भ
ुझे गेह
ु
ॉ के ब
ु
ने दाने फह
ु
त अच्छे रगते है, सो भै उन्हें
ब
ु
नवाकय िा गई । आऩ बी वऩताजी, ककन –ककन चक्कयों भें ऩड़
जाते हैं।”
सबी के उत्तय से याजा को फडी ननयाशा ह
ुई।चायो भें से अफ
उसे के वर तीसयी फेटी से ही थोडी उम्भीद थी ।
दसू ये हदन तीसयी याजक
ु
भायी याजा के ऩास आई। उसने कहा –
“चलरए वऩताजी, आऩको भैंहदिाऊॉ कक गेह
ू
ॉके वे दाने कहाॉहैं?”
याजा यथ ऩय सवाय हो गमा। यथ भहर, नगय ऩाय कयके िेत
की तयप फढ़ चरा। याजा ने ऩ
ूछा, “आखिय कहाॉ यि छोडे तु
भने वे सौ दाने? इन सौ दानों के लरए तु
भ भ
ुझे कहाॉ- कहाॉके
चक्कय रगवाओगी?”
तफ तक यथ एक फडे से हये बये िेत के साभने आकय रुक
गमा। याजा ने देिा- साभने फह
ु
त फडे गेह
ू
ॉ की पसर थी। उसकी
फालरमाॉ हवा भें झभ
ू यही थी, जैसे याजा को कोई ख़ु
शी बया गीत
सु
ना यही हो। याजा ने हैयानी से याजक
ु
भायी की ओय देिा।
याजक
ु
भायी ने कहा – “वऩताजी मे है वे सौ दाने, जो रािों राि
दानों के रूऩ भें आऩके साभने है। भैने उन सौ दानो को फोकय
इतनी अधधक पसर तैमाय की है।”
याजा ने उसे रगा लरमा औय कहा-“ अफ भैं ननज्चॊत हो
गमा। तु
भ ही भेये याज्म की सच्ची उत्तयाधधकायी हो।” Explanation: