बालगोबिन भगत के मधुर गायन से सम्मोहित होकर लोग हर प्रकार की परेशानी को भूल जाते थे। 'बालगोबिन भगत' पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
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बालगोबिन भगत के गायन को न तो माघ की सर्दी और न ही जेठ की गर्मी प्रभावित करती थी। गर्मी में उमस से भरी शामें भी उनके गायन से शीतल प्रतीत होती थी। गर्मियों में शाम के समय वे अपने घर के आंगन में कुछ संगीत प्रेमियों के साथ आसन लगा कर बैठ जाते थे।
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