भारतीय sanwidhan कीतील विशेषता
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संविधान, किसी भी देश का मौलिक कानून है जो सरकार के विभिन्न अंगों की रूपरेखा और मुख्य कार्य का निर्धारण करता है। साथ ही यह सरकार और देश के नागरिकों के बीच संबंध भी स्थापित करता है। वर्तमान में, भारत का संविधान 465 अनुच्छेद जो 25 भागों और 12 अनुसूचियों में लिखित है। हालांकि, संविधान की कई विशेषताएं हैं जैसे धर्मनिरपेक्ष राज्य, संघवाद, संसदीय सरकार इत्यादि ।
संविधान, किसी भी देश का मौलिक कानून है जो सरकार के विभिन्न अंगों की रूपरेखा और मुख्य कार्य का निर्धारण करता है। साथ ही यह सरकार और देश के नागरिकों के बीच संबंध भी स्थापित करता है। वर्तमान में, भारत का संविधान 465 अनुच्छेद जो 25 भागों और 12 अनुसूचियों में लिखित है। हालांकि, संविधान की कई विशेषताएं हैं जैसे धर्मनिरपेक्ष राज्य, संघवाद, संसदीय सरकार इत्यादि ।
भारत का संविधान
संविधान विशेष कानूनी शुचिता वाले लोगों के विश्वास और आकांक्षाओं का दस्तावेज है। देश के बाकी सभी कानून और रीति– रिवाजों को वैध होने के लिए इसका पालन करना होगा। भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था जिसमें 395 अनुच्छेद, 8 अनुसूचि और 22 हिस्से थे। यह दुनिया का सबसे विस्तृत लिखित संविधान है। वर्तमान में, भारत का संविधान 465 अनुच्छेद जो 25 भागों और 12 अनुसूचियों में लिखित है। समय– समय पर संविधान में कई संशोधन किए गए हैं। जैसे, 42 वें संशोधन अधिनियम,1976 द्वारा कई बदलाव किए गए।
भारतीय संविधान के स्रोतः
विभिन्न देशों के संविधान से उधार ली गईं विशेषताएं इस प्रकार हैं–
ब्रिटेन से
नाममात्र का प्रमुख– राष्ट्रपति ( जैसे ब्रिटेन की महारानी )
मंत्रियों की कैबिनेट प्रणाली
प्रधानमंत्री का पद
सरकार का संसदीय प्रकार
दो सदन वाली संसद
अधिक शक्तिशाली निचला सदन
मंत्रि परिषद का निचले सदन के प्रति जिम्मेदार होना
लोकसभा में अध्यक्ष
अमेरिका से
लिखित संविधान
देश का कार्यकारी प्रमुख जिसे राष्ट्रपति कहा जाता है और वह सैन्य बलों का सर्वोच्च कमांडर होगा
राज्य सभा के पदेन अध्यक्ष के तौर पर उप–राष्ट्रपति
मौलिक अधिकार
सुप्रीम कोर्ट
राज्यों का प्रावधान
न्यायपालिका और न्यायिक समीक्षा की स्वतंत्रता
प्रस्तावना
सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालय के जजों को हटाना
यूएसएसआर से
मौलिक कर्तव्य
पंचवर्षीय योजना
ऑस्ट्रेलिया से
समवर्ती सूची
प्रस्तावना की भाषा
व्यापार, वाणिज्य और मेल–जोल के संदर्भ में प्रावधान
जापान से
कानून जिस पर सुप्रीम कोर्ट काम करता है
जर्मनी के संविधान से
आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकारों का निलंबन
कनाडा से
सशक्त केंद्र के साथ संघ की योजना
केंद्र और राज्यों एवं स्थानों के बीच सत्ता का वितरण। केंद्र के पास बाकी के अधिकार
आयरलैंड से
राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों की अवधारणा (आयरलैंड ने इसे स्पेन से उधार लिया था)
राष्ट्रपति के निर्वाचन की पद्धति
राष्ट्रपति द्वारा राज्य सभा में सदस्यों का नामांकन
संविधान की मुख्य विशेषताएं
संघ और राज्यों दोनों के लिए एक ही संविधान– भारत में संघ और राज्य दोनों ही के लिए एक ही संविधान है। संविधान एकता और राष्ट्रवाद के आदर्शों के सम्मिलन को बढ़ावा देता है। एकल संविधान सिर्फ भारत की संसद को संविधान में बदलाव करने की शक्ति प्रदान करता है। यह संसद को नए राज्य के गठन या मौजूदा राज्य को समाप्त करने या उसकी सीमा में बदलाव करने की शक्ति प्रदान करता है।
संविधान के स्रोत– भारतीय संविधान ने विभिन्न देशों से प्रावधान उधार लिए हैं और देश की उपयुक्तता और जरुरतों के लिहाज से उसमें संशोधन किया है। भारत के संविधान का संरचनात्मक भाग भारत सरकार अधिनियम, 1935 से लिया गया है। सरकार की संसदीय प्रणाली और कानून के नियम जैसे प्रावधान यूनाइटेड किंग्डम से लिए गए हैं।
कठोरता और लचीलापन– भारत का संविधान न तो कठोर है और न ही लचीला। कठोर संविधान का अर्थ है कि संशोधन के लिए विशेष प्रक्रियाओं की जरूरत होती है जबकि लचीला संविधान वह होता है जिसमें संशोधन आसानी से किया जा सकता है।
धर्मनिरपेक्ष देश– धर्मनिरपेक्ष देश शब्द का अर्थ है कि भारत में मौजूद सभी धर्मों को देशमें समान संरक्षण और समर्थन मिलेगा। इसके अलावा, सरकार सभी धर्मों के साथ एक जैसा व्यवहार करेगी और उन्हें एक समान अवसर उपलब्ध कराएगी।
भारत में संघवाद– भारत के संविधान में संघ/ केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सत्ता के बंटवारे का प्रावधान है। यह संघवाद के अन्य विशेषताओं जैसे संविधान की कठोरता, लिखित संविधान, दो सदनों वाली विधायिका, स्वतंत्र न्यायपालिका और संविधान के वर्चस्व, को भी पूरा करता है। इसलिए भारत एकात्मक पूर्वाग्रह वाला एक संघीय राष्ट्र है।
सरकार का संसदीय स्वरूप– भारत में सरकार का संसदीय स्वरूप है। भारत में दो सदनों – लोकसभा और राज्य सभा, वाली विधायिका है। सरकार के संसदीय स्वरूप में, विधायी और कार्यकारिणी अंगों की शक्तियों में कोई स्पष्ट अंतर नहीं है। भारत में, सरकार का मुखिया प्रधानमंत्री होता है।
एकल नागरिकता– भारत का संविधान देश के प्रत्येक व्यक्ति को एकल नागरिकता प्रदान करता है। भारत में कोई भी राज्य किसी अन्य राज्य के वासी होने के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकता। इसके अलावा, भारत में, किसी भी व्यक्ति को देश के किसी भी हिस्से में जाने और कुछ स्थानों को छोड़कर भारत की सीमा के भीतर कहीं भी रहने का अधिकार है।
एकीकृत और स्वतंत्र न्यापालिका– भारत का संविधान एकीकृत और स्वतंत्र न्यायपालिका प्रणाली प्रदान करता है। सुप्रीम कोर्ट भारत का सर्वोच्च न्यायालय है। इसे भारत के सभी न्यायालयों पर अधिकार प्राप्त है। इसके बाद उच्च न्यायालय, जिला अदालत और निचली अदालत का स्थान है। किसी भी प्रकार के प्रभाव से न्यायपालिका की रक्षा के लिए संविधान में कुछ प्रावधान बनाए गए हैं जैसे कि जजों के लिए कार्यकाल की सुरक्षा और सेवा की निर्धारित शर्तें आदि।