बालम, आवो हमारे गेह रे।” में कबीर अपने आराध्य और स्वयं के बीच किस संबंध को मानते हैं?
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कबीर साहेब निर्गुण भक्ति धारा को मानने वाले हैं लेकिन यहाँ पर प्रेम को साकार बताया है। सांसारिक सबंधों का उदाहरण देकर निराकार प्रेम को प्रतीकात्मक रूप से परिभाषित किया गया है। ईश्वर को पति मानकर उसे अपने पास बुलाने से भाव यही है की आत्मा परमात्मा के दर्शन की प्यासी है। ईश्वर के दर्शन के लिए मन व्याकुल है और नैन प्यासे हैं। इस दुखिया को दर्शन दो मेरे स्वामी। इस पद में स्त्री को आधार बना कर बिरह को दर्शाया गया है। यहाँ पर बिरह से भाव ईश्वर की प्राप्ति और जतन से सबंधित है। जैसे कोई अपने अविनाशी प्रिय की याद में तड़पता है वैसे ही यह जीव अपने मालिक की प्राप्ति के लिए व्याकुल है। अपने प्रिय से जुदा हो चुकी स्त्री कहती है की सभी लोग मुझे तुम्हारी नारी कहते हैं, इससे मुझे लाज आती है क्योंकि तुम तो मुझसे दूर हो।