बीमा का महत्व एवं लाभ
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बीमा (इंश्योरेंस) उस साधन को कहते हैं जिसके द्वारा कुछ शुल्क (जिसे प्रीमियम कहते हैं) देकर हानि का जोखिम दूसरे पक्ष (बीमाकार या बीमाकर्ता) पर डाला जा सकता है। जिस पक्ष का जोखिम बीमाकर पर डाला जाता है उसे 'बीमाकृत' कहते हैं। बीमाकार आमतौर पर एक कंपनी होती है जो बीमाकृत के हानि या क्षति को बांटने को तैयार रहती है और ऐसा करने में वह समर्थ होती है।
सभ्यता के विकास के साथ-साथ बीमा का महत्व भी बढ़ता जा रहा है , क्योंकि जोखिमों, दुर्घटनाओं व अनिश्चितताओं , में वृद्धि होती जा रही हे आज हम ऐसे किसी दे श की कल्पना नहीं कर सकते जो बीमा का लाभ नहीं उठा रहा हो। आज बीमा प्रारम्भिक स्वरूप से हट कर सामाजिक व व्यावसायिक जगत के प्रत्येक क्षेत्र में पदार्पण कर चुका है और अपनी उपयोगिता के आधार पर लोकप्रियता प्राप्त करता जा रहा है। बीमा की उपयोगिता से प्रभावित होकर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री सर विन्स्टन चर्चिल ने कहा था “यदि मेरा वश चले तो मैं द्वार-द्वार पर यह अंकित करा दूं कि बीमा कराओ।”
बीमा सम्पूर्ण मानवजाति एवं इससे सम्बन्धित सभी वर्गों को सामाजिक एवं आर्थिक रूप से लाभ पहुँचाता है। संक्षेप में कह सकते है कि आधुनिक युग में बीमा का महत्व दिन दुगुना रात चौगुना होता चला जा रहा है। बीमा के महत्व अथवा लाभों को निम्नांकित वर्गीकरण द्वारा समझा जा सकता है।