Hindi, asked by shivanivaid960, 1 month ago

बिनु पग चले सुने बिनु काना।
कर बिन

कर्म करे विधि नाना
आनन रहित सकत इस भोगी।
बिनु वक्त बड़ा जोगी। ​

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Answered by TOPPERANKU
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Answer:

बालकाण्ड का बड़ा सुन्दर प्रसंग , जब भगवान श्री राम सीता जी के स्वयंवर में जाते है , और जिस शिव धनुष को दस हजार राजा हिला तक नहीं सके उसी शिव धनुष को श्रीराम जी ने क्षणभर में उसे तोड़ डाला . " लेत चढ़ावत खैचत गाढ़े , काहूँ न लखा देख सबु ठाढ़े तेहि छन राम मध्य धनु तोरी , भरे भुवन धुनि घोर कठोरा " अर्थात - लेते चढाते ओर जोर से खीचते हुए किसी ने नहीं लखा , अर्थात ये तीनो काम इतनी फुर्ती से हुए कि धनुष कब उठाया कब चढ़ाया , और कब खींचा , इसका किसी को पता नहीं लगा . सबने श्रीराम जी को धनुष खीचे खड़ा देखा उसी क्षण श्रीराम जी ने धनुष को बीच से तोड़ डाला . कोई देख नहीं पाया , कोई जान नहीं पाया , कोई समझ नहीं पाया . दो घटना बस सबने देखी - पहली श्रीराम जी ने धनुष को नजर भर देखा , और दूसरी टूटा हुआ धनुष देखा . बीच में क्या क्रिया हुई ? किसी को नहीं पता . वास्तव में इस लीला में बड़ा रहस्य है भगवान कि कार्य शैली ही ऐसी है , उनका कर्ता रूप दिखायी नहीं देता , केवल कार्य दिखायी देता है.संसारी यदि कोई कार्य करता है तो दिखाकर , बताकर , लिखाकर करता है , यदि एक प्याऊ भी लगवाता है तो पत्थर पर लिखवाता है , कि मैंने लगवाया . इसीलिए भगवान के बारे में कहा गया है - बिनु पद चले सुने बिनु काना । कर बिनु करम करे विधि नाना । आनन रहित सकल रस भोगी । बिनु बानी वक्ता बड़ जोगी । तन बिनु परस नयन बिनु देखा । ग्रहै घ्रान बिनु वास असेखा भगवान देता है तो छप्पर फाड के देता है और लेता है तो लेंटर तोड़कर ले जाता है . यही उनके कार्य का वैशिष्ट है . " संसार में जो एक पैसा देता है जता देता है पर क्या ताज्जुब है जो सबकी झोलिया भरता है , वो अपना पता तक नहीं देता है ।

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