बेनिटो मुसोलिनी पर निबंध | Write an Essay on Benito Mussolini in Hindi
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सन् 1940 तक उसने आपने नेतृत्व गे इटली को विश्व के विकसित और साम्राज्यवादी देशों की पंक्ति में ला खड़ा किया । मुसोलिनी ने अपने क्रान्तिकारी और राष्ट्रवादी जिस दल की स्थापना की, उसे ”फासिस्ट” अर्थात् फासीवाद कहा जाता है ।
बुनिटो मुसोलिनी का जन्म सन् 1883 में उत्तरी इटली के रोमान्या गांव के लुहार परिवार में हुआ था । उसके पिता उग्र क्रान्तिकारी विचारधारा के थे, जिसका प्रभाव मुसोलिनी पर पड़ा । उसकी माता अध्यापिका थी । नार्गल स्कूल में भरती होने के बाद उसने वहां से शिक्षा पूर्ण कर अध्यापक की नौकरी कर ली ।
अअपने समाजवादी विचारधारा के अनुसार मजदूरों के संगठन बनाने तथा हड़ताल करवाने में उसने रुचि ली । जिनेवा विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा ग्रहण की । उन दिनों सरकार ने अनिवार्य रौनिक सेवा का नियम बना रखा था ।
सो उससे बचने के लिए मुसोलिनी स्विटजरलैण्ड चला आया । वहां पर कारीगर का काग करते हुए उसने मजदूर संघों की स्थापना करने के साथ-साथ हडतालें भी करवायीं, जिसकी वजह से स्विटजरलैण्ड की सरकार ने उसे देश निकाला दे दिया ।
23 वर्ष की अवस्था में वह इटली वापस आकर अध्यापक का कार्य करने लगा था । यहां भी उसने अपने क्रान्तिकारी कार्य जारी रखे, जिसके कारण उसे कारावास भी भुगतना पड़ा । कारावास से मुक्ति के बाद वह ट्रेन्ट {आस्ट्रिया} चला आया । वहां पर उसने ट्रेन्ट {आस्ट्रिया} को इटली में मिलाने हेतु अभियान चलाया ।
आस्ट्रिया सरकार ने उसे देश से निकाल दिया । वह इटली लौट आया और पत्रकारिता का काम करने लगा । 1912 में वह इटली के प्रमुख समाजवादी पत्र अवन्टो का सम्पादक बन गया था । 1914 में प्रथम महायुद्ध छिड़ने पर वह उसमें इटली के सम्मिलित होने का विरोधी था ।
बाद में वह इस युद्ध में साधारण सैनिक की भांति सम्मिलित हुआ और घायल होने के बाद सैनिक सेवा से मुक्त हो गया । युद्ध की समाप्ति के बाद वह साम्यवादी क्रान्तिकारी विचारों का विरोधी बन गया । मुसोलिनी इटली को नयी गुलामी से बचाना चाहता था ।
बुनिटो मुसोलिनी का जन्म सन् 1883 में उत्तरी इटली के रोमान्या गांव के लुहार परिवार में हुआ था । उसके पिता उग्र क्रान्तिकारी विचारधारा के थे, जिसका प्रभाव मुसोलिनी पर पड़ा । उसकी माता अध्यापिका थी । नार्गल स्कूल में भरती होने के बाद उसने वहां से शिक्षा पूर्ण कर अध्यापक की नौकरी कर ली ।
अअपने समाजवादी विचारधारा के अनुसार मजदूरों के संगठन बनाने तथा हड़ताल करवाने में उसने रुचि ली । जिनेवा विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा ग्रहण की । उन दिनों सरकार ने अनिवार्य रौनिक सेवा का नियम बना रखा था ।
सो उससे बचने के लिए मुसोलिनी स्विटजरलैण्ड चला आया । वहां पर कारीगर का काग करते हुए उसने मजदूर संघों की स्थापना करने के साथ-साथ हडतालें भी करवायीं, जिसकी वजह से स्विटजरलैण्ड की सरकार ने उसे देश निकाला दे दिया ।
23 वर्ष की अवस्था में वह इटली वापस आकर अध्यापक का कार्य करने लगा था । यहां भी उसने अपने क्रान्तिकारी कार्य जारी रखे, जिसके कारण उसे कारावास भी भुगतना पड़ा । कारावास से मुक्ति के बाद वह ट्रेन्ट {आस्ट्रिया} चला आया । वहां पर उसने ट्रेन्ट {आस्ट्रिया} को इटली में मिलाने हेतु अभियान चलाया ।
आस्ट्रिया सरकार ने उसे देश से निकाल दिया । वह इटली लौट आया और पत्रकारिता का काम करने लगा । 1912 में वह इटली के प्रमुख समाजवादी पत्र अवन्टो का सम्पादक बन गया था । 1914 में प्रथम महायुद्ध छिड़ने पर वह उसमें इटली के सम्मिलित होने का विरोधी था ।
बाद में वह इस युद्ध में साधारण सैनिक की भांति सम्मिलित हुआ और घायल होने के बाद सैनिक सेवा से मुक्त हो गया । युद्ध की समाप्ति के बाद वह साम्यवादी क्रान्तिकारी विचारों का विरोधी बन गया । मुसोलिनी इटली को नयी गुलामी से बचाना चाहता था ।
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