बुरी आदत छोड़ने का दृढ़ संकल्प करने पर
भी बार-बार असफलता क्यों मिलती है?
12:58 PM
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Explanation:
मिटटी के नीचे बहत दिनों तक बीज पडे रहे। महीना इसी तरह बीतता गया। सर्दियों के बाद वसंत आया। उसके बाद वर्षा की शुरूआत में दो-एक दिन पानी बरसा। अब और छिपे रहने की ज़रूरत नहीं थी! मानों बाहर से कोई शिशु को पुकार रहा हो, ‘और सोए मत रहो, ऊपर उठ जाओ, सूरज की रोशनी देखा।’ आहिस्ता-आहिस्ता बीज का ढक्कन दरक गया, दो सुकोमल पत्तियों के बीच अंकुर बाहर निकला। अकुंर का एक अंश नीचे माटी में मजबूती से गड़ गया और दूसरा अंश माटी भेद कर ऊपर की ओर उठा।
क्या तुमने अंकुर को उठते देखा है? जैसे कोई शिशु अपना नन्हा-सा सिर उठाकर आश्चर्य से नई दुनिया को देख रहा है! गाछ का अंकुर निकलने पर जो अंश माटी के भीतर प्रवेश करता है, उसका नाम जड़ है और जो अंश ऊपर की ओर बढ़ता है तना कहते हैं। सभी गाछ-बिरछ में ‘जड़ व तना’ ये दो भाग मिलेंगे। यह एक आश्चर्य की बात है कि गाछ-बिरछ को जिस तरह भी रखो. जड नीचे की ओर जाएगी व तना ऊपर की ओर उठेगा।
एक गमले में पौधा था, परीक्षण करने के लिए कुछ दिन गमले को औंधा लटकाए रखा। पौधे का सर नीचे की तरफ लटका रहा और जड़ ऊपर की ओर रही। दो-एक दिन बाद क्या देखता हूँ कि जैसे पौधे को भी सब भेद मालूम हो गया हो। उसकी पत्तियाँ और डालियाँ टेढ़ी होकर ऊपर की तरफ उठ आई तथा जड़ घूमकर नीचे की ओर लटक गईं। तुमने कई बार सर्दियों में मूली काट कर बोई होगी। देखा होगा, पहले पत्ते व फूल नीचे की ओर रहे। कुछ दिन बाद देखोगे कि पत्ते और फूल ऊपर की ओर उठ आए हैं।
हम जिस तरह भोजन करते हैं, गाछ-बिरछ भी उसी तरह भोजन करते हैं। हमारे दाँत हैं, कठोर चीज़ खा सकते हैं। नन्हें बच्चों के दाँत नहीं होते वे केवल दूध पी सकते हैं। गाछ-बिरछ के भी दाँत नहीं होते, इसलिए वे केवल तरल द्रव्य या वायु से भोजन ग्रहण करते हैं। गाछ-बिरछ जड़ के द्वारा माटी से रस-पान करते हैं। चीनी में पानी डालने पर चीनी गल जाती है। माटी में पानी डालने पर उसके भीतर बहुत-से द्रव्य गल जाते हैं। गाछ-बिरछ वे ही तमाम द्रव्य सोखते हैं।
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