बार-बार सोचते क्या होगा उस कॉम का जो अपने देश की खातिर
घर गृहस्थी-जवानी जिंदगी सर मुहहोम देने वालों पर भी सही है
ॐर उत्पने लिए विपने के मौके ट्रॅटही है।मुखी धेगष्ट पन्छादिन
बाद फिर उसी कस्बे से गुजरेकिस्बे में घुसने से पहले ये क्याल
आना कि कस्बे की हमस्थली में सुभाष की प्रतिमा अवश्य प्रतिष्ठा
पित होगी लेकिन सुभाष की आँखों प चश्मा नहीं होगा। सोहि
मास्टर चस्मा लगाना भूल गमाग
और कैप्टेनमा गमा सोचा
अजरा रुकेगेनी पान भी नहीं खाएंगे गति की तरफ देगे भी
नी, सीधे निकल जाएंगे ड्राइवर से कर दिया, शिहे पर रूकना
मी आज कामहै, पान आगे बही खा लेंगे।
पुन्
गद्याश मैं युवा पीढ़ी के लिए नीति संदेश स्पष्ट कीजिए
Answers
Explanation:
Ashoka (Brāhmi: , Asoka,[4] IAST: Aśoka, English: /əˈʃoʊkə/), also known as Ashoka the Great, was an Indian emperor of the Maurya Dynasty, who ruled almost all of the Indian subcontinent from c. 268 to 232 BCE.[5][6] A grandson of the dynasty's founder Chandragupta Maurya, Ashoka promoted the spread of Buddhism across ancient Asia. Considered by many to be one of India's greatest emperors, Ashoka expanded Chandragupta's empire to reign over a realm stretching from present-day Afghanistan in the west to Bangladesh in the east. It covered the entire Indian subcontinent except for parts of present-day Tamil Nadu, Karnataka and Kerala. The empire's capital was Pataliputra (in Magadha, present-day Patna), with provincial capitals at Taxila and Ujjain.
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