बुराई अटल भाव धारण करके बैठती है। बुरी बातें हमारी पारणा ममत!
दिनों तक टिंकती है। इस बात को प्रायः सभी लोग जनोचि गरेप
गीत जितनी जल्दी ध्यान पर चढ़ते हैं, उतनी जल्दी कोई गम्भीर या अकही जाय।
नहीं। एक बार एक मित्र ने मुझसे कहा कि उसने लड़कपन में कही ये बरा
कहावत सुनी थी, जिसका ध्यान बह लाख चेष्टा करता है कि न आए, घर बार
बार आता है। जिन भावनाओं को हम दूर रखना चाहते हैं, जिन बातों को हम पर।
करना नहीं चाहते, वे बार-बार हृदय में उठती है और बेधती है।
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Isska hum kya kre btaiye
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बुराई अटल भाव धारण करके बैठती है। बुरी बातें हमारी पारणा ममत!
दिनों तक टिंकती है। इस बात को प्रायः सभी लोग जनोचि गरेप
गीत जितनी जल्दी ध्यान पर चढ़ते हैं, उतनी जल्दी कोई गम्भीर या अकही जाय।
नहीं। एक बार एक मित्र ने मुझसे कहा कि उसने लड़कपन में कही ये बरा
कहावत सुनी थी, जिसका ध्यान बह लाख चेष्टा करता है कि न आए, घर बार
बार आता है। जिन भावनाओं को हम दूर रखना चाहते हैं, जिन बातों को हम पर।
करना नहीं चाहते, वे बार-बार हृदय में उठती है और बेधती है।
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