Hindi, asked by Ajaypangi885, 10 months ago

बाज़ार किसी का लिंग,जाति, धर्म या क्षेत्र नहीं देखता; वह देखता है सिर्फ क्रय शक्ति को। इस रूप में वह एक प्रकार से सामाजिक समता की भी रचना कर रहा है आप इससे कहां तक सहमत हैं?

Answers

Answered by shruti202068
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Answered by PravinRatta
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हां यह बात बिल्कुल सही है कि बाज़ार किसी का लिंग,जाति, धर्म या क्षेत्र नहीं देखता बल्कि वह सिर्फ क्रय शक्ति देखता है।

ग्राहक के पास अगर पैसा है और खरीदने कि क्षमता है तो वो चाहे किसी भी जाति या धर्म का क्यों ना हो, बाज़ार उसका स्वागत करता है।

किसी भी बाज़ार में पैसे तथा वस्तुओं का लेन देन होता है वहां किसी भी व्यक्ति विशेष के जाती धर्म से कोई लेना देना नहीं होता है।

यह सामाजिक समता का अच्छा उदाहरण है। हम बाहर से कितना भी जाती धर्म भी भेद कर लें लेकिन बाज़ार में सब बराबर होते हैं। अगर कोई फर्क होता है तो वह है केवल क्रय शक्ति का।

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