बोर मॉडल प्रयोग किया जाता है
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डेनिश देश के महान भौतिक वैज्ञानिक “नील बोहर” ने 1913 में अपना परमाणु मॉडल प्रतावित किया।
बोहर न मॉडल आइन्स्टाइन द्वारा प्रतिपादित विकिरण क्वांटम सिद्धांत पर आधारित था , बोहर ने मैक्स प्लांक के सिद्धांत की अवधारणा का प्रयोग कर रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल में आयी कमियों को दूर करने का प्रयास किया।
बोहर के परमाणु मॉडल के मुख्य बिंदु निम्न है –
रदरफोर्ड ने अपने परमाणु मॉडल में बताया था कि परमाणु में एक धनात्मक नाभिक होता है और इलेक्ट्रॉन इसके चारों तरफ निश्चित कक्षाओं में चक्कर लगाते रहते है। बोहर ने इसे थोडा संशोधित करते हुए कहा कि प्रत्येक कक्षा जिसमे इलेक्ट्रॉन चक्कर लगता है उसकी ऊर्जा निश्चित होती है और अलग अलग कक्षाओं की ऊर्जा का मान अलग होता है। अत: बोहर के अनुसार इलेक्ट्रॉन निश्चित ऊर्जा की कक्षाओं में नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाता रहता है।
अगर इलेक्ट्रॉन नाभिक के पास वाली कक्षाओं में चक्कर लगा रहा है तो इसकी ऊर्जा निम्न होगी और यदि इलेक्ट्रॉन नाभिक से दूर वाली कक्षा में चक्कर लगा रहा है तो इसकी ऊर्जा का मान अधिक होगा।
बोहर के अनुसार इलेक्ट्रॉन केवल उन्ही कक्षाओं में चक्कर लगता है जिनमें इलेक्ट्रॉन का कोणीय संवेग h/2π का पूर्ण गुणज हो , यहाँ h = प्लांक नियतांक।
अत: बोहर के अनुसार जिन कक्षाओं में इलेक्ट्रान चक्कर लगा रहा है उनके लिए
mvr = nh/2π
यहाँ n = 1 , 2 , 3 , , , , , , , ,पूर्णांक है।
n को कक्षा की क्रम संख्या या मुख्य क्वांटम संख्या कहा जाता है।
नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाते हुए इलेक्ट्रॉन अपनी निश्चित कक्षाओं में कोई ऊर्जा का उत्सर्जन नहीं करता है लेकिन एक कक्षा से दूसरी कक्षा में जाने पर इसकी ऊर्जा में परिवर्तन आ जाता है , उच्च कक्षाओं से निम्न कक्षाओं में जाते समय इलेक्ट्रॉन ऊर्जा उत्सर्जित करता है और निम्न कक्षाओं से उच्च कक्षा में आने के लिए आवश्यक ऊर्जा ग्रहण करता है।
अपनी निश्चित कक्षाओं में चक्कर लगाने के लिए आवश्यक बल , अभिकेन्द्रीय बल द्वारा प्राप्त होता है।
जब किसी इलेक्ट्रॉन को बाह्य ऊर्जा मिलती है तो वह ऊर्जा पाकर उच्च कक्षाओं में चला जाता है अर्थात उत्तेजित अवस्था में चला जाता है , उत्तेजित अवस्था में अर्थात उच्च कक्षाओं में इलेक्ट्रॉन केवल 10-8 सेकंड ही ठहर सकता है और पुन: निम्न कक्षाओं में लौट आता है और लौटते समय चुम्बकीय विकिरण (ऊर्जा) का उत्सर्जन करता है।
बोहर की परमाणु मॉडल की कमियां , दोष , सीमाएँ
बोहर के इस मॉडल के आधार पर जिमान प्रभाव (Zeeman Effect) की व्याख्या नहीं की जा सकती है।
यह मॉडल केवल एकल इलेक्ट्रान परमाणुओं के लिए ही सत्य है जैसे H , He+ , Na+1 , Li2+ आदि।
बोहर के परमाणु मॉडल के अनुसार परमाणु की कक्षाएं वृत्तीय होती है लेकिन समरफिल्ड ने परमाणु की कक्षाओं को दीर्घवृत्तिय बताया।
स्पेक्ट्रमी रेखाओं की तीव्रता की व्याख्या नहीं की जा सकती।
कुछ परमाणु जैसे Na आदि में दो स्पेक्ट्रम रेखाएं दिखाई देती है , इसकी व्याख्या इस परमाणु मॉडल के द्वारा नहीं की जा सकती है।
परमाणु के नाभिक को बोहर ने स्थिर माना है लेकिन नाभिक अपने अक्ष के परित: घूर्णन करता रहता है।