ब्रिटिश काल में भारत की भू-राजस्व व्यवस्था का तुलनात्मक वर्णन कीजिए
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↪आरम्भ से ही कंपनी भू-राजस्व के रूप में अघिकतम राशि निर्धरित करना चाहती थी।
↪अतः आरम्भ में वारेन हेसिटंग्स के द्वारा फार्मिंग पद्धति की शुरुआत की गयी,
↪ जिसके तहत भू-राजस्व की वसूली का अधिकार ठेके के रूप में दिया जाने लगा था।
↪इसका परिणाम यह निकला कि बंगाल में किसानों का शोषण हुआ तथा कृषि उत्पादन में हास् हुआ।
↪आगे कार्नवालिस के द्वारा एक नवीन प्रयोग स्थायी बंदोबस्त के रूप में किया गया।
↪इसके माध्यम से जमींदार मध्यस्थों को भूमि का स्वामी तथा स्वतंत्र किसानों को अधीनस्थ रैय्यतों के रूप में तब्दील कर दिया गया।
↪सबसे बढ़कर सरकार की राशि सदा के लिए निश्चित कर दी गयी तथा रैय्यतों को जमीदारों की कृपा पर छोड़ दिया गया।
↪ राजस्व के अधिकतम निर्धारण ने ग्रामीण समुदाय को कई तरह से प्रभावित किया।
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