बीरबल बादशाह को कौन-सी बात अच्छी नहीं लगी ?
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मुगल बादशाह (Mughal Emperor) अकबर के दरबार के नौ रत्नों में बीरबल (Birbal) का ओहदा अलग ही था. बेहद हाजिरजवाब और हंसोड़ बीरबल न केवल वजीर-ए-आजम थे, बल्कि मुगल बादशाह (mughal emperor) के जिगरी दोस्त भी थे. कहा जाता है कि बीरबल की मौत ने अकबर को भीतर से तोड़ दिया था. यहां तक कि दरबार के काम में भी उनकी रुचि खत्म हो गई.
अकबर-बीरबल (Akbar-Birbal)के ढेरों किस्से हैं, जिनमें मुश्किल से मुश्किल हालात को बीरबल का तेज दिमाग झट से संभाल लेता था. बीरबल की शख्सियत के और भी पहलू दिखते हैं जिनसे ये समझ आ सके कि अकबर के दरबार में उन्हें इसकी अहमियत क्यों मिली थी. वैसे दरबार ही नहीं, बीरबल ने अपने खूबियों से बादशाह अकबर के दिल में भी खास जगह बना रखी थी. दोनों इतने करीबी दोस्त थे कि बीरबल की मौत के बाद अकबर के जीवन में बड़ा बदलाव दिखा. खाना-पीना छोड़कर वे झरोखे से देखा करते और दरबारी काम से विरक्त होते गए. लगभग सालभर तक ये चलता रहा.
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