बोरत तौ
बौरयो पै निचोरत बनैे नहीं। इस पंक्ति में
गोपिका के मन का क्या भाव व्यक्त हुआ
हैं
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भाव सौंदर्य – वर्षा ऋतु का सुंदर चित्रण , गोपी के स्वप्न का चित्रण। बोरत तौं बोरयो पै निचोरत बनै नहीं। । भाव सौंदर्य – कृष्ण प्रेम में डूबी गोपी की मनोदशा का वर्णन।
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