बेटे को आँगन में एक चटाई पर लिटाकर एक सफेद कपड़े से ढाँक रखा है। वह कुछ फूल तो हमेशा ही रोपते
रहते, उन फूलों में से कुछ फूल तोड़कर उस पर बिखरा दिए हैं, फूल और तुलसीदल भी। सिहाने एक चिराग जला
(2*336)
रखा है और, उसके सामने ज़मीन पर ही आसन जमाए गीत गाए चले जा रहे हैं। वही पुराना स्वर, वही पुरानी
तल्लीनता। पर पतोहू रो रही है जिसे गाँव की स्त्रियाँ चुप कराने की कोशिश कर रही हैं। किन्तु, बालगोबिन भगत
गाए जा रहे हैं। हाँ, गाते-गाते पतोहू के नजदीक भी जाते और उसे रोने के बदले उत्सव मनाने को कहते। आत्मा
परमात्मा के पास चली गई, विरहिनी अपने प्रेमी में जा मिली, भला इससे बढ़कर आनंद की कौन बात? मैं कभी-कभी
सोचता, यह पागल तो नहीं हो गए। किंतु नहीं, वह जो कुछ कर रहे थे, उसमें उनका विश्वास बोल रहा था- वह
चरम विश्वास, जो हमेशा ही मृत्यु पर विजयी होता आया है।
Answers
Explanation:
बेटे को आँगन में एक चटाई पर लिटाकर एक सफेद कपड़े से ढाँक रखा है। वह कुछ फूल तो हमेशा ही रोपते
रहते, उन फूलों में से कुछ फूल तोड़कर उस पर बिखरा दिए हैं, फूल और तुलसीदल भी। सिहाने एक चिराग जला
(2*336)
रखा है और, उसके सामने ज़मीन पर ही आसन जमाए गीत गाए चले जा रहे हैं। वही पुराना स्वर, वही पुरानी
तल्लीनता। पर पतोहू रो रही है जिसे गाँव की स्त्रियाँ चुप कराने की कोशिश कर रही हैं। किन्तु, बालगोबिन भगत
गाए जा रहे हैं। हाँ, गाते-गाते पतोहू के नजदीक भी जाते और उसे रोने के बदले उत्सव मनाने को कहते। आत्मा
परमात्मा के पास चली गई, विरहिनी अपने प्रेमी में जा मिली, भला इससे बढ़कर आनंद की कौन बात? मैं कभी-कभी
सोचता, यह पागल तो नहीं हो गए। किंतु नहीं, वह जो कुछ कर रहे थे, उसमें उनका विश्वास बोल रहा था- वह
चरम विश्वास, जो हमेशा ही मृत्यु पर विजयी होता आया है।
yr mujhe hindi samaj nahi aa raha hai