बेटी पढ़ाओ देश बचाओ पर निबंध
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हम सभी जानते हैं कि हमारा भारत देश एक कृषि प्रधान देश है और पुरुष-प्रधान देश है। यहाँ सदियों से स्त्रियों के साथ ज्यादतियां होते आई है। जब ईश्वर होकर माता सीता इस कुप्रथा से नहीं बच पायी, फिर हम तो मामूली इंसान है, हमारी क्या औकात।
ये पुरुष-प्रधान समाज लड़कियों को जीने नहीं देना चाहता। मुझे समझ नही आता, मैं इन मर्दो की सोच पर हंसु या क्रोधित होऊं। ये जानते हुए भी कि उनका अस्तित्व भी एक महिला के कारण ही है, फिर भी ये पुरुष समाज केवल पुत्र की ही कामना करता है। और अपने इस पागल-पन में न जाने कितनी लड़कियों का जीवन नष्ट किया है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान’ क्या है।
देश में लगातार घटती कन्या शिशु-दर को संतुलित करने के लिए इस योजना की शुरुआत की गयी। किसी भी देश के लिए मानवीय संसाधन के रुप में स्त्री और पुरुष दोनों एक समान रुप से महत्वपूर्ण होते है।
केवल लड़का पाने की इच्छा ने देश में ऐसी स्थिति उत्पन्न कर दी है, कि इस तरह के योजना को चलाने की जरुरत आन पड़ी। यह अत्यंत शर्मनाक है।
यद्यपि स्त्रियों के साथ भेदभाव समूल विश्व में होता है। यह कुछ नया नहीं है। आज भी समान कार्य के लिए लड़कियों को अपेक्षाकृत कम वेतन दिए जाते है। कहीं अधिक काबिल होने के बाद भी।
उपसंहार
लड़कियों के साथ शोषण होने के पीछे मुख्य कारण अशिक्षा भी है। अगर हम पढ़े-लिखे शिक्षित होते हैं तो हमें सही-गलत का ज्ञान होता है। जब बेटियां अपने पैर पर खड़ी होंगी तो कोई भी उन्हें बोझ नहीं समझेगा।
इसीलिए ‘बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम’ के माध्यम से बेटियों को अधिक से अधिक शिक्षित बनाने पर जोर दिया जा रहा है। शिक्षित लोगों के साथ कुछ भी गलत करना आसान नहीं होता। लड़की पढ़ी-लिखी होगी तो न अपने साथ कुछ गलत होने देगी और न ही किसी और के साथ होते देखेगी। इसीलिए लड़की का शिक्षित होना अत्यंत आवश्यक है।
Explanation:
जैसे कोई भी गाड़ी एक पहिए से नहीं चल सकती, ऐसे ही जीवन रुपी गाड़ी भी केवल पुरुषों से नहीं चल सकती है। जीवन चक्र में स्त्री और पुरुष दोनों की समान सहभागिता है। बेटियों की घटती संख्या देश के लिए चिंता का विषय है। चूकिं यह आज का बड़ा ज्वलंत विषय है, इसीलिए प्रायः इस मुद्दे पर विचार मंत्रणाएं की जाती रहती है।
हम सभी जानते हैं कि हमारा भारत देश एक कृषि प्रधान देश है और पुरुष-प्रधान देश है। यहाँ सदियों से स्त्रियों के साथ ज्यादतियां होते आई है। जब ईश्वर होकर माता सीता इस कुप्रथा से नहीं बच पायी, फिर हम तो मामूली इंसान है, हमारी क्या औकात।
ये पुरुष-प्रधान समाज लड़कियों को जीने नहीं देना चाहता। मुझे समझ नही आता, मैं इन मर्दो की सोच पर हंसु या क्रोधित होऊं। ये जानते हुए भी कि उनका अस्तित्व भी एक महिला के कारण ही है, फिर भी ये पुरुष समाज केवल पुत्र की ही कामना करता है। और अपने इस पागल-पन में न जाने कितनी लड़कियों का जीवन नष्ट किया है।
यत्र नार्यस्तु पुजयन्ते रमन्ते तत्र देवता”
अर्थात् जहाँ नारियों को सम्मान दिया जाता है, वहाँ साक्षात् देवता निवास करते हैं। यह वेद वाक्य है अर्थात हमारे वेदों में नारी को उच्च स्थान प्राप्त है। परन्तु फिर भी सदियों से नारी घोर अन्याय, अत्याचार और शोषण से जूझ रही है। हमारा भारत देश पौराणिक संस्कृति के साथ-साथ महिलाओं के सम्मान और इज्जत के लिए जाना जाता था। लेकिन बदलते समय के अनुसार हमारे देश के लोगों की सोच में भी बदलाव आ गया है। जिसके कारण अब बेटियों और महिलाओं के साथ सम्मान और इज्जत का व्यवहार नहीं किया जाता।
आज हमारे 21वी सदी के भारत में जहां एक ओर चांद पर जाने की बातें होती हैं, वहीं दूसरी तरफ भारत की बेटियाँ अपने घर से बाहर निकलने पर भी कतरा रही हैं। जिससे यह पता लगता है कि आज का भारत देश पुरुष प्रधान देश है। लोगों की सोच इस कदर बदल गई है कि आए दिन देश में कन्या भ्रूण हत्या और शोषण जैसे मामले देखने को मिलते रहते हैं। जिसके कारण हमारे देश की स्थिति इतनी खराब हो गई है कि दूसरे देशों के लोग हमारे भारत देश में आने से झिझकने लगे हैं।
स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था कि जिस देश में महिलाओं का सम्मान नहीं होता, उस देश की प्रगति कभी भी नहीं हो सकती।
समाज में बेटियों की हो रही दुर्दशा और लगातार घट रहे लिंगानुपात, समाज के लोगों की संकीर्ण मानसिकता का सबूत है। समाज में बेटी-बेटा के प्रति फैली असामनता की भावना का नतीजा ही है कि आज कन्या भ्रूण हत्या, बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों में बढ़ोतरी हो रही है। हमें समझने कि आवश्यकता है कि पृथ्वी पर मानव जाति का अस्तित्व, आदमी और औरत दोनों की समान भागीदारी के बिना संभव नहीं होता है। दोनों ही पृथ्वी पर मानव जाति के अस्तित्व के साथ-साथ किसी भी देश के विकास के लिए समान रूप से जिम्मेदार है।
बेटी बचाओ बेटी पढाओ’ एक ऐसी योजना है जिसका अर्थ “कन्या शिशु को बचाओ और इन्हें शिक्षित करो” है। इस योजना को भारतीय सरकार के द्वारा कन्या शिशु के लिए जागरूकता का निर्माण करने के लिए और महिला कल्याण में सुधार करने के लिए शुरू किया गया था। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना (BBBP) महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय और परिवार कल्याण मंत्रालय एवं मानव संसाधन विकास की एक संयुक्त पहल है। लड़कियों की सामाजिक स्थिति में भारतीय समाज में कुछ सकारात्मक बदलाव लाने के लिये इस योजना का आरंभ किया गया है।
इस योजना का उद्घाटन माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 22 जनवरी 2015 को हरियाणा राज्य के पानीपत जिले में किया था। हरियाणा में इसलिए क्योंकि हरियाणा राज्य में उस समय 1000 लड़कों पर सिर्फ 775 लड़कियां ही थी। जिसके कारण वहां का लिंगानुपात गड़बड़ा गया था। इस योजना को शुरुआत में पूरे देश के 100 जिलों में जहां पर सबसे अधिक लिंगानुपात गड़बड़ाया हुआ था वहां पर इस योजना को प्रभावी तरीके से लागू किया गया और आगामी वर्षों में इसे पूरे देश में लागू किया गया।