Hindi, asked by guru1989, 1 year ago

बढ़ता तनाव ववषर् पर अनुछेद

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Answered by maanavguptaa
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युवाओं में बढ़ता मानसिक तनाव इस दृष्टि से चिंताजनक है कि कई बार वह तनाव से मुक्ति पाने के लिए मौत को भी गले लगाने से नहीं चूकते। जरा सी नाराजगी, सहनशक्ति का अभाव, घरेलू कलह तथा भावनाओं में बहकर खुदकुशी जैसे कदम उठाना युवाओं में अब कोई नई बात नहीं रह गई है। पिछले तीन दिनों में जम्मू संभाग में तीन युवाओं द्वारा खुदकुशी कर लिया जाना इस बात का द्योतक है। विगत दिवस जम्मू के सतवारी इलाके में एक ऑटो रिक्शा चालक ने संदिग्ध परिस्थितियों में आत्महत्या कर ली। इससे पूर्व जीवन नगर इलाके में भी इन्हीं परिस्थितियों में युवक का शव घर में झूलता हुआ मिला था। प्रतिस्पर्धा के इस युग में हर व्यक्ति की कोशिश होती है कि वह किसी मुकाम तक पहुंचे। असफल रहने पर उनमें कुंठा इस कदर हावी हो जाती है। कई मामलों में बेरोजगारी, गरीबी व घरेलू कलह भी एक कारण होता है। लेकिन इन सबसे छुटकारा पाने के लिए आत्महत्या जैसा कदम उठाना कोई हल नहीं है। परेशानियों का नाम ही जिंदगी है। रात के बाद उजियारा यही जिंदगी का सच है। समाज को तनाव मुक्त बनाने के लिए माता-पिता का यह दायित्व बनता है कि बच्चों को उतना ही स्नेह दें जिसमें वह बिगड़ें न। इसके अलावा बच्चों की संगत पर भी विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। कई बार अपेक्षाओं पर खरा न उतरने पर छात्र आत्महत्या जैसे कदम उठा लेते है। प्रतिस्पर्धा के इस युग में माता-पिता की बच्चों के प्रति अपेक्षाएं बढ़ी हैं जो गलत हैं। माता-पिता को भी समझना होगा और उन पर किसी प्रकार का मानसिक दबाव बनाने से बेहतर होगा कि बच्चे को अपना भविष्य स्वयं चुनने दें। यह खुशी की बात है कि पिछले कुछ वर्षो से विद्यार्थियों की सोच में काफी बदलाव आया है और अब वह केवल डॉक्टर व इंजीनियर ही नहीं बनना चाहते बल्कि उनका लक्ष्य इससे भी काफी आगे है। किसी भी लक्ष्य को हासिल करने के लिए उम्र कभी भी आड़े नहीं आती। ऐसे में युवा जिंदगी में असफल भी रहते हैं तो उनमें हीन भावना नहीं आनी चाहिए। सत्त प्रयासों से ही कामयाबी आपके कदम चूमती है।
Answered by dackpower
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Answer:

अधिकांश किशोर तनाव से गुजरते हैं, जो भी स्रोत आंतरिक या बाहरी हो सकते हैं, यह शरीर के प्रमुख कार्य को बाधित करता है। अधिकांश युवा अपने जीवन में कई समस्याओं का सामना करते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को समाज और परिवार द्वारा निर्धारित विभिन्न प्रकार के दबावों का सामना करना पड़ता है। उन दबावों का मुकाबला करने के कगार पर, एक व्यक्ति खुद अनजाने में एक जाल बिछाता है और उसी में फंस जाता है।

माता-पिता की अपेक्षा, भाई-बहन की प्रतिद्वंद्विता, स्थिति के मुद्दे, वित्तीय मुद्दे। अधिकांश युवा इन मुद्दों का सामना करते हैं जिसमें कुछ समस्याएं वास्तव में वास्तविक होती हैं और कुछ स्वयं निर्मित होती हैं। युवाओं को अपनी अपेक्षाओं के स्तर को कम करने की आवश्यकता है। ये लोग अपने जीवन से अनुचित अपेक्षा का निर्माण करते हैं। अधिकांश छात्र छद्म हैं वे अपने आप को एक रोसी दुनिया में रखते हैं और जब वे वास्तविक स्थिति से सामना करते हैं, तो वे संभाल करने में असमर्थ होते हैं और इस प्रकार यह उन्हें एक तनावपूर्ण स्थिति में फेंक देता है।

अधिकांश युवा अपने माता-पिता के साथ अपनी समस्याओं को साझा करने के लिए अनिच्छुक हैं, इससे अवसाद और तनाव होता है। तनाव और अवसाद एक नौजवान के लिए गंभीर समस्या है। तनाव को तनाव, हताशा, चिंता, उदासी और वापसी की भावनाओं द्वारा वर्गीकृत किया जाता है, जो आमतौर पर कुछ दिनों तक रहता है। अवसाद दोनों गंभीर और लंबे समय तक चलने वाला है। निराशा को निराशा, उदासी, अलगाव, चिंता, वापसी और बेकार की अधिक चरम भावनाओं की विशेषता है जो पिछले दो सप्ताह या उससे अधिक समय से चली आ रही है।

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