बेटी युग eassy in hindi
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लड़कियां घर की आधारशिला हैं। एक लड़की के बिना जीवन की कल्पना करना असंभव है। लड़की को समाज में कई पात्र रहना पड़ता है, उदाहरण के लिए, वे एक बेटी का जीवन जीते हैं, वे बहुत आज्ञाकारी और निपुण पत्नी साबित होते हैं, जबकि वे एक उत्कृष्ट बहन या मां बन जाते हैं। यह गलत नहीं होगा कि लड़की के जीवन में कई चरण हैं। लेकिन कई लोगों के लिए, उनका अस्तित्व नर-हावी समाज में प्रचलित एक बड़ा अभिशाप प्रतीत होता है। उन्हें कुछ गंदी और संकीर्ण दिमागी लोगों द्वारा बीमार उपचार दिया जाता है।
लोग भूल गए हैं कि वे एक उत्तराधिकारी हैं, परिवार के लिए एक बेटा जो अगली पीढ़ी के लिए अपने परिवार की अगुवाई करता है। दूसरे शब्दों में, एक संपूर्ण जीवन एक ही लड़की पर निर्भर है। देश भर में लड़कियों को बचाने के संबंध में आज भरना सबसे महत्वपूर्ण सामाजिक जागरूकता मुद्दा है। कई प्रभावी उपाय हैं जिनमें एक लड़की को काफी हद तक बचाया जा सकता है।
समाज में गरीबी का एक बड़ा स्तर है जो भारतीय समाज में निरक्षरता और लिंग असमानता का मुख्य कारण है। गरीबी और लिंग भेदभाव को कम करने और भारतीय समाज में लड़कियों और महिलाओं की स्थिति में सुधार लाने के लिए शिक्षा इस प्रकार एक आवश्यक तत्व है। आंकड़ों के मुताबिक, ओडिशा में महिला साक्षरता लगातार गिरावट आई है, जहां लड़कियों के पास शिक्षा और अन्य गतिविधियों के बराबर पहुंच नहीं है।
शिक्षा रोजगार से गहराई से जुड़ा हुआ है। गरीब शिक्षा का मतलब निम्न स्तर का रोजगार है जो समाज में गरीबी और लिंग असमानता का कारण बनता है। शिक्षा उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाकर महिलाओं की स्थिति में सुधार करने का सबसे प्रभावी तरीका है। सरकार समाज में महिलाओं के लिए समान अधिकार और अवसर सुनिश्चित करने के लिए लड़कियों और लड़कों की रक्षा के लिए कदम उठा रही है। बॉलीवुड अभिनेता (परिनीती चोपड़ा) लड़की (बेटी बचाओ, बेटी पदो) को बचाने के लिए हाल के पीएम पैटर्न के ब्रांड के लिए आधिकारिक राजदूत थे।
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Thanks
बेटियां हमारे समाज का अभिन्न अंग हैं। पुत्त वडाऊंदे जमीना लेकिन धीयां दुख वडाऊंदियां ने। बेटियां बेटों से ज्यादा संवेदनशील और भावुक होती हैं। बाबुल के आंगन की रौनक होती है बेटियां पता ही नहीं लगता कब बड़ी हो जाती है और ससुराल चली जाती है अक्सर माता- पिता बेटियों को ससुराल भेज कर उनकी गैर-मौजूदगी को बहुत महसूस करते हैं।beti hai anmol
लेकिन आज आधुनिक युग में बेटियों को अपने अस्तित्व के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है वैज्ञानिक युग में आश्चर्यजनक काम करता मानव प्रकृति से खिलवाड़ कर रहा है आज-कल भ्रूण हत्या जैसे अपराध आम देखने को मिलते हैं आज का मानव बेटी को अपनाने से डरता है और बेटी को पैदा करने से भी जो समाज के लिए गहरी चिंता का विषय है अनेक कारण है जो के बेतुके और बेकार हैं जैसे दहेज की चिंता, असुरक्षा की कमी तीसरा जोकि अपनी ओर से ही बताया गया है लड़की की शिक्षा का अगर लड़की को ज्यादा शिक्षा दी तो वह घर से बागी हो जाएगी और माता -पिता कि आगे बोलेगी जो कि बिल्कुल गलत है।
दहेज के लिए लालची को यह नहीं पता होता कि जिसको हम घर लेकर जा रहे हैं वह हमारी बेटी ही है पुत्र वधू नहीं है लेकिन अपने लक्ष्य में बहन उत्सव पर इतने जुर्म करते हैं आखिर में मार ही देते हैं ताकि वह माता-पिता को कुछ बता ना सके ना ही उनके खिलाफ आवाज उठा सके हम कहां जा रहे हैं ? आज हर एक मुश्किल का हल मरना और मारना ही रह गया है लड़की को भी अपने अस्तित्व के लिए लड़ना चाहिए प्रत्येक लड़की को शिक्षित होना चाहिए क्योंकि शिक्षा ही किसी इंसान का भविष्य तय करती है।
जिंदगी में आत्मनिर्भर बनो, तभी अपनी वैवाहिक जिंदगी के बारे में सोचो जिंदगी के बारे सोचो ऐसा कोई भी काम ना करो जिससे माता-पिता को शर्मिंदा होना पड़े। अपना जीवनसाथी खुद चुनने से पहले इस बात का ध्यान रखो कि वह आप को प्यार करता हो अपनी जरूरतों को पूरा करने वाला हो। अंत में यही की बेटी का कर्तव्य होता है दोनों घर की इज्जत को बचाना इसलिए सोच विचार शादी का फैसला ले दहेज के लालचियों को कभी भी अपने आसपास ना आने दो बेटी एक खूबसूरत शब्द है और खुद ही बेटियां बहुत अच्छी होती हैं घर वालों को भी थोड़ा उससे समझना चाहिए।
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