बिटिया कहा कहा लोहा पहचान पाती हैं
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बिटिया चिमटा, कलछुल, कड़ाही, दरवाजे की सांकल, सिटकनी, दरवाजे के कब्जे, पेंच, संड़ासी, सेफ्टीपिन, साइकिल, अरगनी के तार में लोहा पहचान पाती है।
व्याख्या
‘प्यारे नन्हे बेटे’ पाठ में कवि द्वारा बिटिया से सवाल किया जाता है कि कहाँ-कहाँ लोहा है, वह तब बिटिया अपनी समझ के अनुसार जो जानकारी देती है, उसमें वह चिमटा, संड़ासी, कड़ाही, कलछुल, दरवाजे की सांकल, कब्जा, पेंच, सिटकनी, साइकिल अरगनी का तार और सेफ्टीपिन में लोहा पहचान पाती है।
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