Economy, asked by amanamanthakur040, 2 months ago

बंद एवं खुली अर्थव्यवस्था में आय के चक्रीय प्रभाव का वर्णन कीजिए

Answers

Answered by krishna210398
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Answer:

आय के चक्रीय प्रवाह का चार क्षेत्रीय मॉडल - में चार क्षेत्र होते है। परिवार तथा व्यावसायिक फर्मे, सरकार, शेष विश्व क्षेत्र और पूँजी बाजार। यह क्षेत्रीय मॉडल खुली अर्थव्यवस्था को प्रदर्शित करता है। इसमें विदेशी क्षेत्र या शेष विश्व क्षेत्र को भी सम्मिलित किया जाता है।

Explanation:

कृषि के मामले में, भारत अभी भी बंद अर्थव्यवस्था की नीति का पालन करता है क्योंकि भारतीय किसान अभी भी विकसित दुनिया के अत्यधिक सब्सिडी वाले कृषि उत्पादों के प्रति संवेदनशील हैं। एक खुली अर्थव्यवस्था किसी देश के बाजार को इस हद तक चौड़ा करती है कि एक बंद अर्थव्यवस्था कभी महसूस नहीं कर सकती है।

आय का चक्रीय प्रवाह अर्थव्यवस्था में, विभिन्न क्षेत्रों, अर्थात घरेलू, फर्म, सरकार और विदेशी क्षेत्र में, एक परिपत्र प्रवाह में धन और वस्तुओं की आवाजाही को संदर्भित करता है। एक अर्थव्यवस्था को उत्पादन, वितरण, विनिमय, उपभोग और निवेश की एकीकृत व्यवस्था के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।

एक बंद अर्थव्यवस्था वह है जिसमें बाहरी अर्थव्यवस्थाओं के साथ कोई व्यापारिक गतिविधि नहीं है। इसलिए बंद अर्थव्यवस्था पूरी तरह से आत्मनिर्भर है, जिसका मतलब है कि कोई भी आयात देश में नहीं आता है और कोई भी निर्यात देश से बाहर नहीं जाता है।

बंद एवं खुली अर्थव्यवस्था में आय के चक्रीय प्रभाव का वर्णन कीजिए

https://brainly.in/question/43343761?msp_srt_exp=4

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#SPJ3

Answered by shishir303
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बंद एवं खुली अर्थव्यवस्था में आय के चक्रीय प्रभाव का वर्णन कीजिए।

आय के चक्रीय प्रभाव से तात्पर्य अर्थव्यवस्था में और उत्पादक इकाइयों के आपस में संबंध से होता है। लोगों द्वारा की जाने वाली मांग के कारण ही उत्पादन और पूर्ति होती है। इस पूरे चक्र को आय का चक्रीय प्रवाह कहा जाता है। खुली अर्थव्यवस्था में आय के चक्रीय प्रभाव से तात्पर्य परिवार क्षेत्र, उत्पादक वर्ग और सरकारी क्षेत्र के आयात और निर्यात के शामिल होने से होता है । आय के चक्रीय प्रवाह में संतुलन होने के लिए विदेशों से प्राप्त आय तथा विदेशों में हुए व्यय के बराबर होना चाहिए अर्थात भुगतान और प्राप्ति संतुलन में होना चाहिए ।

बंद अर्थव्यवस्था में आय का चक्रीय प्रभाव देश के अंदर होने वाले चक्रीय प्रभाव को संदर्भित करता है। जिसमें उपभोक्ता द्वारा की जाने वाली वस्तुओं की मांग और उसके उत्पादन तथा पूर्ति के चक्र को आय का चक्रीय प्रभाव कहते हैं।

#SPJ2

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