बंद द्वार की साँकल खोलने के लिए ललद्यद ने क्या उपाय सुझाया है?
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बंद द्वार की साँकल खोलने के लिए ललदय ने उपाय सुझाया है कि भोग-विलास और त्याग के बीच संतुलन बनाए रखना, मनुष्य को सांसारिक विषयों में न तो अधिक लिप्त और न ही उससे विरक्त होना चाहिए बल्कि उसे बीच का मार्ग अपनाना चाहिए। जिस दिन मनुष्य के हृदय में ईश्वर भक्ति जागृत हो गई अज्ञानता के सारे अंधकार स्वयं ही समाप्त हो जाएँगे। इसलिए सच्चे मन से प्रभु की साधना करो, अपने अन्त:करण व बाह्य इन्द्रियों पर विजय प्राप्त कर हृदय में प्रभु का जाप करो, सुख व दुख को समान भाव से भोगों। यही उपाय कवियत्री ने सुझाए हैं
बंद द्वार की साँकल खोलने के लिए ललद्यद ने क्या उपाय सुझाया है?
बंद द्वार की साँकल खोलने के लिए ललद्यद के अनुसार ईश्वर को अपने अन्त कारण में खोजना है| जिस दिन मनुष्य दुनिया के सभी लोभ , ऐशोआराम को छोड़कर ईश्वर की भक्ति में लीन हो जाएगा उस समय वह बंद द्वार की साँकल तक पहुंच सकता है| ईश्वर को अपने हृदय में पाकर स्वत: ही ये सांकल खुल जाएगी और ईश्वर को पाने के लिए सारे रास्ते मिल जाएँगे | इसलिए मनुष्य को सब मोय-माया को छोड़ कर ईश्वर की साधना करनी चाहिए और अपने अन्त:करण वह बाह्य इन्द्रियों पर विजय प्राप्त कर हृदय में ईश्वर का जप करना चाहिए| बंद द्वार की साँकल खोलने के लिए कवि ने इंद्रियों पर विजय प्राप्त करने का सुझाव दिया है। सरल शब्दों में अर्थ है कि यदि आप सच्चे मायने में भगवान को पाना चाहते हैं तो आपको लोभ और लालच से मोहभंग करना होगा।