"बुद्धि ही बल है" पर कथा लिखें 200 शब्दों में।
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प्राचीन समय की बात है कि जंगल में एक पेड़ पर कौए का जोड़ा रहता था। दोनों कौए अपने बच्चों के साथ आनंदपूर्वक रह रहे थे। उसी पेड़ की बिल में एक काला साँप भी रहता था। एक दिन जब दोनों कौए दाना चुगने कहीं गए। कौए जब अपने घोंसले में वापिस आए तो अपने बच्चों को न पाकर बहुत दु:खी हुए। उन्होंने अपने बच्चों के पंख साँप की बिल में देखे। कौआ सर्प के पास गया और बोला- हे सर्प देवता, हम आपके पड़ोसी हैं। पड़ोसियों पर तो दया रखनी चाहिए थी। साँप ने जब कौए की बात को सुना तो गुस्से के मारे फन उठाकर फुफकारने लगा। कौए ने सोचा कि इस समय यहाँ रुकना ठीक नहीं। वह तुरंत उठकर अपने घोंसले में जा बैठा।
दोनों कौओं ने सोचा कि या तो हम यहाँ से चले जाएँ या इस सर्प को जान से मार दें। सर्प का हमारे साथ रहना ठीक नहीं। वे सर्प को समाप्त करने के लिए सोचने लगे। कुछ समय के पश्चात् उन्हें एक उपाय सूझा। एक कौआ पेड़ से उड़ा और पास के तालाब पर गया। वहाँ एक राजकुमार स्नान कर रहा था। उसने सोने की जंजीर कपड़ों के ऊपर रखी थी। कौए ने उस जंजीर को उठा लिया और उड़ चला। राजकुमार के अंगरक्षकों ने कौए का पीछा किया। कौए ने जल्दी से उस जंजीर को साँप की बिल के ऊपर रख दिया। अंगरक्षक वृक्ष पर चढ़कर जंजीर उठाने लगे। वहाँ पर बैठे हुए साँप को देखकर उन्होंने तलवार से उसको मार दिया। इस प्रकार चतुर कौए ने अपनी बुद्धि के बल से अपने से अधिक शक्तिशाली शत्रु को समाप्त कर दिया और अब वे दोनों आराम से रहने लगे।
शिक्षा: बुद्धि बल से बड़ी समस्याओं को भी सुलझाया जा सकता है।
Answer:
upar likha hua answer hai