Hindi, asked by rishisharma32427, 1 month ago

बुद्धि की चतुराई प्रेम में बाधक है सूरदास के पद के आधार पर इस कथन की विवेचना कीजिए ?
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class 10 ncert ​

Answers

Answered by devyanibehera5b
1

Answer:

तर्क-शक्ति के आधार पर प्रेम नहीं किया जा सकता हैं , इसलिए वह कृष्ण से उनकी मन की शक्ति और मन को वापस देने को कहती हैं ।19

Answered by pranjalkushwaha297
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Answer बुद्धि की चतुराई प्रेम में बाधक है।सूरदास के पद के आधार पर इस कथन की विवेचन इस तरह की गई हैं -

सूरदास के पद में उन्होंने गोपियों का अत्यंत प्रेम श्री कृष्ण के ओर बताया हैं।

भ्रमरगीत के प्रस्तुत पदो मे सूरदास ने बुद्धि की चतुराई को गूपियों के प्रेम का तर्क देकर बताया हैं ।

गोपियों का कहना हैं की प्रेम अनुभूति का विषय हैं , इसमें सरलता , निश्छलता , और संपूर्ण लगन की ज़रूरत होती हैं।

तर्क-शक्ति के आधार पर प्रेम नहीं किया जा सकता हैं , इसलिए वह कृष्ण से उनकी मन की शक्ति और मन को वापस देने को कहती हैं ।

अतः बुद्धि की चतुराई प्रेम में बाधक है।

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