बौद्धिक ज्ञानोदय किस प्रकार समाजशास्त्र के विकास के लिए आवश्यक है?
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Answer with Explanation:
बौद्धिक ज्ञानोदय निम्न प्रकार समाजशास्त्र के विकास के लिए आवश्यक है :
17 वीं तथा 18 वीं शताब्दी में यूरोप में नए व मौलिक दृष्टिकोण का जन्म हुआ जिससे ज्ञानोदय या प्रबोधन का नाम दिया गया। इसमें मनुष्य को ब्रह्मांड के केंद्र बिंदु में स्थापित किया गया तथा विवेक को मनुष्य की मुख्य विशिष्टता का दर्जा दिया गया । इसने युक्ति संगत विश्लेषण को संभव बनाया जिससे एक समाज के लोग दूसरे समाज को भी समझ सकते हैं। ज्ञानोदय या प्रबोधन ने वैज्ञानिक सोच को भी जन्म दिया तथा यह सब कुछ ही समाजशास्त्र के प्रमुख आधार है । मनुष्य को केंद्र बनाना, युक्ति संगत विश्लेषण और समाजों को समझा तथा वैज्ञानिक सोच समाजशास्त्र के प्रमुख सिद्धांत हैं तथा इनके कारण ही समाज का विकास संभव हुआ।
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