बुद्धि की परीक्षा पर एक कहानी लिखिए
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काफ़ी समय पहले की बात है| उन दिनों देश में नंद नाम के राजा का शासन था| उसकी दो पत्नियाँ थी, सुनंदा और मुरा|
मुरा का पुत्र मौर्य हुआ, और सुनंदा के नौ नंद-पुत्र हुए| मौर्य के सौ पुत्र हुए| जिनमें चंद्रगुप्त श्रेष्ठ और बुद्धिमान था| वृद्ध राजा ने सारा राजकाज नव नन्दों को सौंप दिया, उन्होंने मौर्य पुत्रों को तहखाने में बंद कर दिया|
चंद्रगुप्त को छोड़कर सभी मर गए| एक बार सिंहल के राजा ने पिंजरे में बंद एक शेर नन्दों के पास भेजा, जो जीवित मालूम पड़ता था| सिंहल के राजा ने कहलाया- “जो कोई पिंजरा खोले बिना शेर को पिंजरे से निकाल देगा, वही वस्तुतः सुमति या बुद्धिमान होगा|” नंद कुछ न कर सके, दूसरे भी कोई भेद नहीं जान सके| यह बात जब चंद्रगुप्त को मालूम हुई, तब उसने कहलवाया कि वह शेर को पिंजरे से निकाल सकता है| राजा ने उसे बुलवाया| उसने लोहे की शलाका गरम कर शेर को छूआई| शेर मोम का बना था, गरम लोहे के स्पर्श से पिघलकर वह पिंजरे से बाहर आ गया| अपनी बुद्धि से चमत्कृत कर देने के कारण चंद्रगुप्त को कारागार से मुक्ति .