Sociology, asked by tarunthapa7102, 11 months ago

बौद्ध दर्शन के प्रतीत्य समुत्पाद सिद्धांत की व्याख्या कीजिये।

Answers

Answered by poonianaresh78p3767p
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Explanation:

प्रतीत्यसमुत्पाद का सिद्धांत कहता है कि कोई भी घटना केवल दूसरी घटनाओं के कारण ही एक जटिल कारण-परिणाम के जाल में विद्यमान होती है। प्राणियों के लिये इसका अर्थ है - कर्म और विपाक (कर्म के परिणाम) के अनुसार अनंत संसार का चक्र। क्योंकि सब कुछ अनित्य और अनात्म (बिना आत्मा के) होता है, कुछ भी सच में विद्यमान नहीं है। हर घटना मूलतः शून्य होती है। परंतु, मानव, जिनके पास ज्ञान की शक्ति है, तृष्णा को, जो दुःख का कारण है, त्यागकर, तृष्णा में नष्ट की हुई शक्ति को ज्ञान और ध्यान में बदलकर, निर्वाण पा सकते है

Answered by shwetacharan447
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Answer:

बौद्ध दर्शन में प्रतित्य समुत्पाद सारे बुद्ध विचारो की रीढ़ है । प्रातित्य समुत्पाद का ज्ञान ही बोधी है । इस सिद्धांत का अर्थ है कि कोई भी घटना किसी दूसरी घटना के कारण है होती है और उसका परिणाम भी उसके अनुसार ही होगा । हमारे जीवन का प्रत्येक कर्म दूसरे कर्मो पर आधारित होता है ।

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