Hindi, asked by hemantkumarmalviya85, 7 hours ago

बौद्ध धर्म के चार आर्य सत्य क्या है​

Answers

Answered by shishir303
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बौद्ध धर्म के चार आर्य सत्य इस प्रकार हैं...

  1. दुःख अर्थात संसार दुःखमय है।
  2. दुःख समुदय अर्थात संसार में दुःखों का कारण है।
  3. दुःख निरोध अर्थात संसार में दुःखों का निवारण संभव है।
  4. दुःख निरोध मार्ग अर्थात संसार में दुःखों के निवारण का एक मार्ग है।

व्याख्या ⦂

✎... बौद्ध धर्म के चारों आर्य सत्य में प्रथम आर्य सत्य के अनुसार संसार में दुख ही दुख है अर्थात संसार दुखमय है। मनचाहे सुखों की प्राप्ति ना होना ही दुख है। इस संसार में जीवन से लेकर मृत्यु तक दुख ही दुख हैं।

बौद्ध धर्म के दूसरे आर्य सत्य के अनुसार यदि संसार में दुख है, तो उन दुखों का कोई न कोई कारण भी है। हमें उन कारणों को जानने की आवश्यकता है। मनचाही इच्छाओं पूर्ति ना होना दुखों का कारण है।

बौद्ध धर्म के तीसरे आर्य सत्य के अनुसार दुखों का निवारण ही संभव है। यदि संसार में दुख हैं और दुखों का कारण है तो उन दुखों का निवारण भी संभव है। कोई भी दुख अनंत नहीं है अर्थात विशिष्ट प्रयासों द्वारा दुखों का निवारण किया जा सकता है।

बौद्ध धर्म के चौथे आर्य सत्य के अनुसार दुखों के निवारण का एक निश्चित मार्ग होता है। उस मार्ग के माध्यम से ही दुखों का निवारण किया जा सकता है और मनुष्य निर्वाण को प्राप्त कर सकता है। यह मार्ग नैतिक व अध्यात्मिक साधना का मार्ग है, इसे अष्टांगिक मार्ग या अष्टांग मार्ग ही कहा जाता है।

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