बूढ़े सियार ने भेड़ों को रोककर कहा, "भाइयो और बहनो! अब भय मत करो। भेड़िया राजा संत हो गए हैं। उन्होंने हिसा बिलकुल छोड़ दी है। उनका हृदय परिवर्तित हो गया है। वे आज सात दिनों से घास खा रहे हैं। रात-दिन भगवान के
भजन व परोपकार में लगे हैं। उन्होंने अपना जीवन जीव-मात्र की सेवा में अर्पित कर दिया है। अब वे किसी का दिल नहीं दुखाते, किसी का रोम तक नहीं छूते। भेड़ों उन्हें विशेष प्रेम है। इस जाति ने जो कष्ट सहे हैं, उनकी याद करके कभी-कभी भेड़िया संत की आँखों से आँसू आ जाते हैं। उनकी अपनी भेड़िया जाति ने जो अत्याचार आप पर किए हैं, उनके कारण संत का माथा
लज्जा से जो झुका है, सो झुका ही हुआ है, परंतु अब वे शेष जीवन आपकी सेवा में लगाकर प्रायश्चित करेंगे। आज सवेरे की बात है कि एक मासूम भेड़ के बच्चे के पाँव में काँटा लग गया तो भेड़िया संत ने उसे दाँतों से निकाला; पर जब वह बेचारा कष्ट में चल बसा तो भेड़िया संत ने सम्मानपूर्वक उसकी अंत्येष्टि क्रिया की। उनके घर के पास हड्डियों का जो ढेर आप देख रहे हैं, वह उसी का है। अब वे सर्वस्व त्याग चुके हैं। अब आप उनसे भय मत करो।
(क) बूढ़े भेड़िए का हृदय परिवर्तन कैसे हो गया?
(i) भेड़िए ने मांस खाना शुरू कर दिया।
(ii) उसने घास खानी शुरू कर दी।
(iii) उसने सभी खाना छोड़ दिया।
(iv) किसी की भी तरफ़ आँख उठाना बंद कर दिया।
(ख) 'भेड़ों से उन्हें विशेष प्रेम है', इसका आशय है-
(i) ग़रीबों के
खून
को चूसा जाए
(ii) उनका उद्धार किया जाए
(iii) ग़रीबों को बढ़ावा दिया जाए
(iv) ग़रीबों से कुछ न कहा जाए
(ग) प्रस्तुत गद्यांश में किस पर व्यंग्य किया गया है?
(i) अमीरों पर
(ii) लोकतंत्र पर
(iii) चुनाव प्रक्रिया पर
(iv) भेड़िए पर
(घ) 'प्रायश्चित' शब्द का अर्थ है-
(i) अंतिम संस्कार
(iii) पश्चाताप
(iv) उपाय
(ङ) प्रस्तुत गद्यांश का उचित शीर्षक क्या हो सकता है-
(i) गरीब-अमीर (ii) मेरा पश्चाताप (iii) भय की समाप्ति (iv) भेड़िए व भेड़
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(क)उसने खास खानी शुरू कर दी ।
(ख)उनका उद्धार किया जाए ।
(ग)भेड़िए पर ।
(घ)प्रायश्चित का है पश्चाताप ।
(ड़)प्रस्तुत गद्यांश का उचित शीर्षक यह है कि "मेरा पश्चताप "।
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