Hindi, asked by janvisharma15205, 1 day ago

बाज़ार दर्शन चैप्टर का केंद्रीय भाव

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Answered by preetis6667
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बाजार दर्शन पाठ में लेखक ने बताया है कि खाली मन से बाजार नहीं जाना चाहिए। खाली मन का अर्थ है कि अपनी आवश्यकता का स्पष्ट ज्ञान न होना। जब मनुष्य को यह पता न हो कि बाजार से उसको क्या खरीदना है तो उसका मन खाली माना जायेगा। ... मन का दमन कर उसमें किसी प्रकार की इच्छा उत्पन्न न होने देना मन को बन्द करना है।इस कहानी में लेखक ने बाजार के आकर्षण का वर्णन किया है। इसमें लेखक बताते हैं कि बाजार के आकर्षण के कारण एक बार उनके मित्र बाजार गए तो वह बाजार से अनावश्यक सामान भी खरीद लाए ।

बाजार दर्शन पाठ में लेखक ने बताया है कि खाली मन से बाजार नहीं जाना चाहिए। खाली मन का अर्थ है कि अपनी आवश्यकता का स्पष्ट ज्ञान न होना। जब मनुष्य को यह पता न हो कि बाजार से उसको क्या खरीदना है तो उसका मन खाली माना जायेगा। ... मन का दमन कर उसमें किसी प्रकार की इच्छा उत्पन्न न होने देना मन को बन्द करना है।इस कहानी में लेखक ने बाजार के आकर्षण का वर्णन किया है। इसमें लेखक बताते हैं कि बाजार के आकर्षण के कारण एक बार उनके मित्र बाजार गए तो वह बाजार से अनावश्यक सामान भी खरीद लाए ।वह बाजार के आकर्षण बल का इस प्रकार बताते हैं। साथ में वे यह भी बताते हैं कि कुछ व्यक्ति ऐसा भी होता है जो बाजार के इस आकर्षण से प्रभावित नहीं हो पाता है।

बाजार दर्शन पाठ में लेखक ने बताया है कि खाली मन से बाजार नहीं जाना चाहिए। खाली मन का अर्थ है कि अपनी आवश्यकता का स्पष्ट ज्ञान न होना। जब मनुष्य को यह पता न हो कि बाजार से उसको क्या खरीदना है तो उसका मन खाली माना जायेगा। ... मन का दमन कर उसमें किसी प्रकार की इच्छा उत्पन्न न होने देना मन को बन्द करना है।इस कहानी में लेखक ने बाजार के आकर्षण का वर्णन किया है। इसमें लेखक बताते हैं कि बाजार के आकर्षण के कारण एक बार उनके मित्र बाजार गए तो वह बाजार से अनावश्यक सामान भी खरीद लाए ।वह बाजार के आकर्षण बल का इस प्रकार बताते हैं। साथ में वे यह भी बताते हैं कि कुछ व्यक्ति ऐसा भी होता है जो बाजार के इस आकर्षण से प्रभावित नहीं हो पाता है।लेखक बताते हैं कि बाजार में गजब का आकर्षण होता है ।

बाजार दर्शन पाठ में लेखक ने बताया है कि खाली मन से बाजार नहीं जाना चाहिए। खाली मन का अर्थ है कि अपनी आवश्यकता का स्पष्ट ज्ञान न होना। जब मनुष्य को यह पता न हो कि बाजार से उसको क्या खरीदना है तो उसका मन खाली माना जायेगा। ... मन का दमन कर उसमें किसी प्रकार की इच्छा उत्पन्न न होने देना मन को बन्द करना है।इस कहानी में लेखक ने बाजार के आकर्षण का वर्णन किया है। इसमें लेखक बताते हैं कि बाजार के आकर्षण के कारण एक बार उनके मित्र बाजार गए तो वह बाजार से अनावश्यक सामान भी खरीद लाए ।वह बाजार के आकर्षण बल का इस प्रकार बताते हैं। साथ में वे यह भी बताते हैं कि कुछ व्यक्ति ऐसा भी होता है जो बाजार के इस आकर्षण से प्रभावित नहीं हो पाता है।लेखक बताते हैं कि बाजार में गजब का आकर्षण होता है ।बाजार का आमंत्रण को ग्राहक टाल नहीं पाता ग्राहक उसके आमंत्रण में उलझ जाता है । वह दुकान से अधिक से अधिक सामानों को खरीदना चाहता है । लेखक का एक मित्र है । जो बाजार जा कर खाली लौटता है।

बाजार दर्शन पाठ में लेखक ने बताया है कि खाली मन से बाजार नहीं जाना चाहिए। खाली मन का अर्थ है कि अपनी आवश्यकता का स्पष्ट ज्ञान न होना। जब मनुष्य को यह पता न हो कि बाजार से उसको क्या खरीदना है तो उसका मन खाली माना जायेगा। ... मन का दमन कर उसमें किसी प्रकार की इच्छा उत्पन्न न होने देना मन को बन्द करना है।इस कहानी में लेखक ने बाजार के आकर्षण का वर्णन किया है। इसमें लेखक बताते हैं कि बाजार के आकर्षण के कारण एक बार उनके मित्र बाजार गए तो वह बाजार से अनावश्यक सामान भी खरीद लाए ।वह बाजार के आकर्षण बल का इस प्रकार बताते हैं। साथ में वे यह भी बताते हैं कि कुछ व्यक्ति ऐसा भी होता है जो बाजार के इस आकर्षण से प्रभावित नहीं हो पाता है।लेखक बताते हैं कि बाजार में गजब का आकर्षण होता है ।बाजार का आमंत्रण को ग्राहक टाल नहीं पाता ग्राहक उसके आमंत्रण में उलझ जाता है । वह दुकान से अधिक से अधिक सामानों को खरीदना चाहता है । लेखक का एक मित्र है । जो बाजार जा कर खाली लौटता है।लेखक को अपने मित्र का स्वभाव अच्छा लगता है । इनका कहना है कि बाजार में कुछ ऐसा वस्तु है ही नहीं जीसे खरीदा ना जा सके । इसीलिए वह खरीदता नहीं है।

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